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आलू-शाकभाजी फसलों में रोगों का बढ़ा खतरा:उद्यान विभाग ने किसानों को किया अलर्ट, बचाव के बताए उपाय

हापुड़ में तापमान में तेजी से गिरावट और कोहरे की स्थिति को देखते हुए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि प्रतिकूल मौसम के कारण आलू, आम, केला और शाकभाजी फसलों में समसामयिक रोगों और कीटों का प्रकोप बढ़ने की आशंका है। किसानों को समय पर आवश्यक रोकथाम उपाय अपनाने की सलाह दी गई है। विशेष रूप से आलू की फसल इन दिनों पछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। बादल छाए रहने, बूंदाबांदी और अधिक नमी वाले वातावरण में यह रोग तेजी से फैलता है। यह कुछ ही दिनों में पूरी फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इस रोग के प्रमुख लक्षणों में पत्तियों पर भूरे-काले धब्बे बनना, पत्तियों का सिरे से झुलसना और उनकी निचली सतह पर रुई जैसे फफूंद का दिखाई देना शामिल है। 80 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता और 10 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर इसका प्रकोप सबसे तेजी से होता है। विभाग ने रोग की रोकथाम के लिए किसानों को (कार्बेन्डाजिम 12%+ मैंकोजेब 63%डब्ल्यूपी) 2 से 2.5 किलोग्राम या प्रोपिनेब 63%डब्ल्यूपी 2 से 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी है। माहू कीट के प्रकोप की स्थिति में, दूसरे छिड़काव के दौरान इमिडाक्लोप्रिड 17.1%एसएल की 1 लीटर मात्रा घोल में मिलाकर छिड़कने का सुझाव दिया गया है। जिन खेतों में रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हों, वहां मेटालेक्जिल आधारित या साइमोक्जेनिल युक्त सिस्टेमिक फफूंदनाशक का प्रयोग करने की बात कही गई है। मिर्च, टमाटर, मटर सहित अन्य सब्जियों पर भी कम तापमान, कोहरा और पाला नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए किसानों को फसल में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर सिंचाई करने की सलाह दी गई है, जिससे पाले का प्रभाव कम किया जा सके।


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