सहारनपुर से पकड़ा गया डॉ. अदील साल 2023 से नवंबर 2024 तक लापता रहा। इस दौरान वह अपने घर पर नहीं था। न ही नौकरी पर अस्पताल गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि करीब एक साल तक अदील कहां लापता था? उसने किन-किन लोगों से बात की? क्या बात की? इन सवालों के जवाब एसटीएफ तलाश रही है। डॉ. अदील ने चीन और तुर्की की भी यात्रा की थी। इसके टिकट और कागजात जांच एजेंसियों को मिले हैं। इसके अलावा उसके पास 14 मोबाइल मिले हैं। उसके 8 बैंक खाते हैं। एक अकाउंट सहारनपुर और 7 जम्मू कश्मीर में हैं। इन खातों में करोड़ों का ट्रांजैक्शन सुरक्षा एजेंसियों को मिला है। जांच में यह भी पता चला है कि वह अपने भाई और रिश्तेदारों के खातों में भी पैसे मंगवाता था। बताया जा रहा है कि डा. अदील ने सहारनपुर के कुछ डॉक्टरों को हनीट्रैप में फंसा रखा था। वह अस्पताल में जम्मू-कश्मीर से आने वाले संदिग्ध लोगों का इलाज करता था। ब्लास्ट से 10 दिन पहले डा. अदील दिल्ली गया था। इसका टिकट मिला है। गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल सेल और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की संयुक्त टीम सहारनपुर पहुंची। यहां फेमस मेडिकेयर अस्पताल में करीब 5 घंटे तक सर्च किया। जांच टीम ने अस्पताल की भर्ती प्रक्रिया, कर्मचारियों की नियुक्ति, वित्तीय लेनदेन और अल-फलाह यूनिवर्सिटी से संभावित कनेक्शन से जुड़ी फाइलों की जांच की। अस्पताल में कार्यरत डॉ. बाबर और डॉ. असलम जैदी से पूछताछ की। अस्पताल में किन-किन व्यक्तियों का इलाज हुआ, क्या यहां बाहरी धार्मिक या संगठनात्मक लोगों का आना-जाना था? इस एंगल पर जांच की। अदील के गिरोह में कश्मीरी लड़कियां
6 नवंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस और एसटीएफ डा. अदील को अरेस्ट कर ले गई थी। वहां पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए। पता चला कि अनंतनाग में पढ़ाई और जॉब के दौरान ही उसकी गतिविधि संदिग्ध थी। वह अपने पास एक पिस्टल रखता था। इस पिस्टल को देखकर ही मौलवी इरफान ने उससे बात की। फिर जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का सदस्य बना दिया। डॉ. अदील ने ब्लैकमेल करने के लिए कुछ डॉक्टरों को कश्मीरी लड़कियों की मदद से हनीट्रैप में फंसा रखा था। वे डॉक्टर कौन-कौन हैं, इसकी जांच की जा रही है। डॉ. अदील से अभी जम्मू-कश्मीर की स्पेशल सेल और पुलिस पूछताछ कर रही है। ये जांच एजेंसियां जांच पूरी होने के बाद अपनी रिपोर्ट NIA को सौंपेगे। फिर NIA पकड़े गए सभी लोगों से पूछताछ करेगी। कानपुर, सहारनपुर, हरियाणा से पकड़े गए लोगों को जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग कमरों में रखा गया है। जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। आतंकी ट्रेनिंग सेंटर खोलने को लेकर जमीन खरीदी
जांच एजेंसी में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि लेडी टेररिस्ट डॉ. शाहीन और अदील यूपी में आंतकी ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहते थे। ताकि बड़ी संख्या में स्लीपर सेल तैयार कर सकें, आतंकी गतिविधियों में उन्हें शामिल कर सकें। सेंटर खोलने के लिए डॉ. शाहीन ने अंबाला रोड पर करीब 300 वर्ग गज का एक प्लॉट लिया था। प्लानिंग थी कि इस जगह पर एक हॉस्पिटल खोला जाएगा, मगर उसके अंदर आतंकी ट्रेनिंग दी जाएगी। यह इनपुट सुरक्षा एजेंसियों को मिला है, जमीन कहां और कब खरीदी गई, इसकी जांच की जा रही है। डॉ. अदील छुट्टी वाले दिन देवबंद जाता था। वह यहां किन-किन लोगों से मिला, इसकी भी जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि उसने कुछ स्लीपर सेल भी तैयार कर लिए थे। वह कौन लोग हैं, पुलिस को उनकी तलाश है। ब्लास्ट से पहले दिल्ली में था अदील, रडार पर 2 मीडियाकर्मी
जांच में सामने आया है कि अदील के निकाह में डॉ. बाबर भी गए थे। उनके साथ दो मीडियाकर्मी भी गए थे। इन दोनों मीडियाकर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। पुलिस दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है। अदील सहारनपुर के मानकमऊ क्षेत्र में किराए के घर में रहता था। उसके घर के बाहर कचरे में से उसका श्रीनगर से दिल्ली का फ्लाइट टिकट मिला है। यह टिकट इंडिगो एयरलाइन का है। डॉ. अदील दिल्ली ब्लास्ट से 10 दिन पहले यानि 31 अक्टूबर को एयरलाइन से श्रीनगर से दिल्ली गया था। वह दिल्ली से सहारनपुर कब लौटा, इसकी जांच की जा रही है। अस्पताल के प्रबंधक मनोज मिश्रा से पूछताछ की
पुलिस की स्पेशल सेल और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की संयुक्त टीम ने फेमस मेडिकेयर अस्पताल के प्रबंधक मनोज मिश्रा से पूछताछ की। डॉ. अदील के बारे में जानकारी की और कागजात कब्जे में लिए। जांच अधिकारियों ने पूछा कि अस्पताल का कांग्रेस सांसद इमरान मसूद से क्या संबंध है? मनोज मिश्रा ने बताया कि अस्पताल का पूर्व में इमरान मसूद से कुछ संबंध हो सकता है, लेकिन अब यह अस्पताल लीज पर लिया गया है। वर्तमान में उनका इससे कोई संबंध नहीं है। मनोज मिश्रा ने कहा- हम केवल संचालन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, किसी भी राजनीतिक व्यक्ति का हमारे प्रशासन में कोई दखल नहीं है। कौन है डॉ. अदील डॉ. अदील जैश से कैसे जुड़ा, जानिए— डॉ. अदील की श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुलाकात शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद से हुई। इरफान श्रीनगर के बाहरी इलाके छनपुरा स्थित मस्जिद अली नक्कीबाग का इमाम है। वह कश्मीर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ग्राउंड-लेवल पर सक्रिय सदस्य है, जो लोगों को संगठन से जोड़ने का काम करता है। इरफान आतंकवादियों को हथियारों की सप्लाई करता है और कश्मीरी युवाओं को आतंकी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजने में मदद करता है। इसके अलावा वह पत्थरबाजी की घटनाओं को भी अंजाम दिलवाता है। इसी दौरान इरफान ने डॉ. अदील की मुलाकात गांदरबल निवासी जमीर अहमद अहंगर नाम के युवक से कराई। जमीर का काम नए युवाओं को ट्रेनिंग देना और उनका ब्रेनवॉश करना था। उसने डॉ. अदील का भी ब्रेनवॉश किया और उसे जैश-ए-मोहम्मद से जोड़ दिया। कैसे अदील तक पहुंची पुलिस जानिए
17 अक्टूबर को मौलवी इरफान ने नौगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े पोस्टर लगवाए। पोस्टर लगाने वालों में नौगाम के रहने वाले आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार शामिल थे। ये सभी CCTV कैमरे में कैद हो गए। 19 अक्टूबर को श्रीनगर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। श्रीनगर के एसएसपी संदीप चक्रवर्ती की अगुआई में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि पोस्टर मौलवी इरफान और डॉ. अदील के कहने पर लगाए गए थे। पुलिस ने मौलवी इरफान को पकड़ा। उससे मिले इनपुट के आधार पर जमीर अहमद अहंगर को भी गिरफ्तार किया गया। फिर पुलिस ने डॉ. अदील की तलाश शुरू की। पुलिस जब जमीर को लेकर डॉ. अदील के घर पहुंची, तो पता चला कि 1 नवंबर को वह सहारनपुर आया है और यहां एक अस्पताल में नौकरी कर रहा है। 6 नवंबर को यूपी एटीएस की मदद से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ. अदील को सहारनपुर से गिरफ्तार कर लिया। …………………………………. ये खबर भी पढ़िए- सहारनपुर में ATS का 2 अस्पतालों में छापा:डायरेक्टर बोले- आतंकी को जॉब देकर कलंक लगा; ATS ने कांग्रेस सांसद के बारे में पूछा दिल्ली ब्लास्ट के बाद यूपी में एजेंसियां एक्शन मोड में हैं। ATS और पुलिस की टीम ने गुरुवार शाम करीब 4 बजे सहारनपुर के दो अस्पतालों पर रेड मारा है। दोनों अस्पतालों का संबंध कथित आतंकी डॉक्टर आदिल अहमद से है। टीम में जम्मू-कश्मीर (JK), हरियाणा पुलिस, ATS के करीब 20 जवान शामिल हैं। डॉक्टर आदिल की शादी में कौन-कौन शामिल हुआ था, किन मरीजों का इलाज किया, कौन-कौन मिलने आता था, ऐसे तमाम सवालों के जवाब लिखित में लिए गए हैं। पढ़ें पूरी खबर
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