महराजगंज के निचलौल ब्लॉक की भेड़िया ग्राम पंचायत में 10 माह पहले हुए अवैध भुगतान का मामला अब चर्चा में है। इस मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) द्वारा जारी नोटिस का सचिवों ने जवाब नहीं दिया है। इसके बावजूद उन्हें दूसरी नोटिस जारी नहीं की गई, जिससे डीपीआरओ की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। भेड़िया ग्राम पंचायत में एसीपी कार्यों के लिए तकनीकी स्वीकृति (टीएस) नवंबर 2025 में दी गई थी। हालांकि, इसी कार्य से संबंधित तीन अलग-अलग भुगतान 25 जनवरी को ही कर दिए गए। तत्कालीन सचिव राजीव रामचंद्रन ने बिना बिल-बाउचर और अनिवार्य दस्तावेजों के 3.79 लाख रुपये का यह भुगतान किया था। इस अनियमितता की शिकायत के बाद डीपीआरओ श्रेया मिश्रा ने 4 दिसंबर को तत्कालीन सचिव राजीव रामचंद्रन, वर्तमान सचिव आशुतोष दुबे, ग्राम प्रधान अखिलेश यादव और कंसल्टिंग इंजीनियर प्रशांत सिंह को नोटिस जारी की थी। उनसे तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया था। 12 दिसंबर तक किसी भी सचिव ने इस नोटिस का जवाब नहीं दिया। इसके बावजूद विभाग द्वारा दूसरी नोटिस जारी नहीं की गई और न ही कोई त्वरित कार्रवाई की गई। प्रशासनिक प्रक्रिया में इस ढिलाई से विभाग पर दोषी कर्मचारियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गंभीर वित्तीय अनियमितता के बावजूद यदि नोटिस का जवाब न देने वालों पर कार्रवाई नहीं होती है, तो यह सीधे तौर पर व्यवस्था पर सवाल उठाता है। मुख्य विकास अधिकारी महेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, नोटिस की समयसीमा बीतने के बाद भी विभाग की चुप्पी और दूसरी नोटिस जारी न करना अब चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रामीणों और शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यदि इतने बड़े भुगतान घोटाले में भी अधिकारियों को संरक्षण मिलता है, तो पारदर्शिता और जवाबदेही के दावे खोखले साबित होंगे।
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