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अयोध्या में मारपीट करने वाले दो दोषी प्रोबेशन पर रिहा:पुरानी रंजिश में वारदात को दिया था अंजाम, महिला ने कराई थी FIR

विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट राकेश कुमार की अदालत ने 11 वर्ष पुराने मारपीट के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए 70 वर्षीय जगदीश प्रसाद तिवारी और रीता नामक महिला को दोषी करार दिया है। अदालत ने दोनों को छह माह की परिवीक्षा अवधि पर सदाचार बनाए रखने की शर्त के साथ प्रोबेशन पर रिहा करने का आदेश दिया है। यह मामला वर्ष 2014 का है। थाना खण्डासा क्षेत्र के नौगंवा गांव में 18 सितंबर की शाम दलित महिला नीलम के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, नीलम जब अपने पुराने घर से नए घर जा रही थी, तभी पुरानी रंजिश के चलते गांव के ही जगदीश, उनकी पत्नी, रामदेव, राम सुधारे और रीता ने उसके साथ मारपीट की। आरोप था कि अभियुक्तों ने नीलम को जातिसूचक गालियां दीं और उसके कपड़े फाड़ दिए। कोर्ट के आदेश पर थाना खण्डासा में छेड़खानी तथा एससी-एसटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान वादी नीलम को एकमात्र गवाह के रूप में अदालत में पेश किया गया। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के बयानों का मूल्यांकन करने के बाद अदालत ने जगदीश प्रसाद और रीता को मारपीट और गाली-गलौज के आरोपों में दोषी पाया। हालांकि, एससी-एसटी एक्ट के आरोपों में सबूतों की कमी के चलते दोनों को दोषमुक्त कर दिया गया। अदालत ने उन्हें छह माह की परिवीक्षा अवधि में अच्छा आचरण बनाए रखने की चेतावनी के साथ रिहा किए जाने का आदेश दिया।


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