अयोध्या राम विवाह महोत्सव के दिव्य उत्सव में पूरी तरह डूब गई। ध्वजारोहण के तुरंत बाद श्रीराम विवाह की भव्य बारात पूरे शहर को भक्ति और उल्लास से भर दिया। मंत्रार्थ मंडपम से निकल रही यह शोभायात्रा भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के अलौकिक स्वरूपों के साथ राम पथ पर आगे बढ़ी। महिलाएं मंगलगीत गाते हुए निकलीं, बैंड-बाजों की धुनें वातावरण को आनंद से भरती रही। भक्तों की भीड़ हर मोड़ पर “सीताराम” का जयकारा लगा रही थी। बिहार से आई सखियां अपनी पारंपरिक वेशभूषा में इस बारात की अगुआई कर रहीं थी, जबकि हाथी, घोड़े और साधु-संतों की कतार इस यात्रा को और भव्यता देती देखी गई। अयोध्या के प्रमुख मंदिर कनक भवन, दशरथ महल, रंग महल, जानकी महल और लक्ष्मण किला भी अपने-अपने स्वरूपों के साथ बारात निकाल रहे हैं। स्वामी राजकुमार दास बताते हैं कि आज की रात विवाह की लोक-रीतियां निभाई जा रही हैं, जबकि 26 नवंबर को औपचारिक राम विवाह संपन्न होगा और 27 नवंबर को कलेवा एवं गौना उत्सव आयोजित किया जाएगा। सबसे पहले देखिए राम बारात की तस्वीरें…. शाम ढलते ही अयोध्या में शुरू हुई राम बारात 25 नवंबर की शाम जैसे ही सरयू के किनारे सूर्य डूबने लगता है, अयोध्या का वातावरण बदलना शुरू हो जाता है। शहर के हर मार्ग, हर मोड़ और हर आंगन में भक्ति की लहर दौड़ रही है। इसी बीच मंत्रार्थ मंडपम के विशाल प्रांगण में तैयारियां चरम पर पहुंच चुकी हैं। भगवान राम का सुशोभित स्वरूप फूलों से सजे रथ में विराजमान किया जा रहा है। उनके साथ लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के स्वरूप भी अलग-अलग झांकियों में सुसज्जित किए जा रहे हैं। शाम के साथ ही ढोल-नगाड़े गूंजने लगते हैं और फिर राम बारात निकल रही है। रथों की कतार आगे बढ़ती है, पीछे-पीछे भक्तों की भीड़ जयकारे लगा रही है। पूरे मार्ग पर फूलों की वर्षा हो रही है और महिलाएं “रामलला के ब्याह” के मंगलगीत गा रही हैं। यह दृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे पौराणिक कथाएं जीवंत होकर अयोध्या की धरती पर उतर आई हों। शाम बढ़ते ही बिअहुती भवन से राम बारात का दूसरा बड़ा दल निकल रहा है। यहां बिहार की सखियां मिथिला की पारंपरिक लाल-पील रंग की साडियां पहने बारात की पूरी अगुआई कर रही हैं। उनके हाथों में कलश, दीप और कौड़ा है।वे मिथिला के पारंपरिक गीत गा रही हैं सिया के जनक घर से अयोध्या जाए… इनके पीछे-पीछे सजे-धजे हाथी चल रहे हैं। हाथियों के माथे पर रंगोली के सुंदर चित्र हैं, उनके शरीर पर चांदी की जालीदार सजावट और सुनहरी कढ़ाई की चादरें ओढ़ाई गई हैं।घोड़ों की कतार शानदार है। सफेद, भूरे और काले घोड़े शाही अंदाज़ में चल रहे हैं और उनके साथ घुड़सवार भगवान राम की बारात की शोभा बढ़ा रहे हैं। साधु-संतों का विशाल दल गेरुआ वस्त्र, रुद्राक्ष की मालाएं और हाथों में ध्वज बारात के मार्ग को आध्यात्मिक बना रहा है। उनके हर “जय श्रीराम” के उद्घोष से वातावरण गूंज उठ रहा है। हर मंदिर से निकली शोभायात्रा अयोध्या का कोई भी प्रमुख मंदिर ऐसा नहीं है जो इस दिव्य आयोजन में शामिल न हो। कनक भवन- कनक भवन से निकल रही बारात अपने वैभव के लिए प्रसिद्ध है। यहां सीता जी का अलौकिक स्वरूप सजा कर उनकी झांकी तैयार की गई है। महिलाएं “निकसि चलीं सियारा…” गीत गाते हुए पालकी के आगे चल रही हैं। दशरथ महल- दशरथ महल के अंदर राजा दशरथ का अभिनय कर रहे कलाकार आशीर्वाद की मुद्रा में बैठे हैं। वे भगवान राम के रथ को प्रतीक रूप में विदा कर रहे हैं। लक्ष्मण किला- लक्ष्मण किला में विश्वामित्र, उर्मिला, सुतीक्षा और मुनियों की झांकी तैयार की गई है। यहां पारंपरिक आह्वान गीत गूंज रहे हैं। रंग महल / गहोई मंदिर / हनुमत निवास- हर मंदिर से निकल रही झांकियां अयोध्या में ऐसा आभास पैदा कर रही हैं कि पूरा शहर ही बारात का हिस्सा बन गया है। मिथिला की सखियों ने गाया मंगलगान लक्ष्मण किला में बैठी मिथिला की महिलाएं लगातार पारंपरिक गीत गा रही हैं। युगल प्रिया बताती हैं—“हम बचपन से अयोध्या आती हैं। अपने देवता के विवाह में गीत गाना हमारा सबसे बड़ा सौभाग्य है। जैसे-जैसे विवाह का क्षण करीब आता है, दिल खुद गर्माहट और भक्ति से भर जाता है।” वे स्त्रियां अपने गीतों में सिया माता के लिए आशीर्वाद देती हैं “सुख-शांति से बसिहैं, राम-सीता के घर…” लाखों की भीड़ के बीच सुरक्षा अयोध्या में लाखों श्रद्धालु मौजूद हैं, लेकिन प्रशासन की व्यवस्था काबिले तारीफ़ है। पुलिस, PAC, होमगार्ड और स्वयंसेवक लगातार मार्गदर्शन कर रहे हैं।मार्गों पर बैरिकेडिंग की गई है, आपातकालीन सेवाएं तैनात हैं और CCTV निगरानी 24 घंटे चल रही है। मीठाइयों की दुकानों पर खास “राम विवाह मोदक”, सीता मैया पेड़ा” और “जनकपुरी काजू-रोल” बिक रहे हैं।साड़ी और चुनरी की दुकानों में भी भीड़ है।झांकी तैयार करने वाले कलाकारों ने रिकॉर्ड ऑर्डर मिलने की बात कही है। अयोध्या के कई पंडालों में रामलीला मंडलियां विवाह दृश्य का मंचन कर रही हैं।सजीव जयमाल, मंडप प्रवेश, फेरे और विवाह मंत्र सब संवेदनशील अभिनय के साथ प्रदर्शित किए जा रहे हैं। दर्शक भाव-विभोर होकर तालियां बजा रहे हैं। 26 नवंबर को औपचारिक विवाह होगा श्रीरामवल्लभाकुंज के प्रमुख स्वामी राजकुमार दास बताते हैं आज रात, 25 नवंबर को लोक-रीतियों के अनुसार विवाह की प्रारंभिक रस्में निभाई जा रही हैं। बारातों के मंदिरों में लौटने पर भगवान राम और माता सीता के स्वरूपों का पंचगव्य स्नान, मंडप प्रवेश और सप्तपदी जैसी रस्में चल रही हैं। वे आगे कहते हैं 26 नवंबर को औपचारिक राम विवाह सम्पन्न होगा। इसमें जनकपुरी की परंपरा के अनुसार जयमाल, कन्यादान और सप्तपदी का विधान पूरा किया जाएगा। इसके बाद राम-सिया का अभिषेक तथा विशेष पूजा भी की जाएगी। 27 नवंबर को होगा कलेवा और गौना उत्सव स्वामी राजकुमार दास बताते हैं कि“27 नवंबर को दोपहर में राम कलेवा होगा जिसमें नए जोड़े के लिए अन्नकूट और मंगल भोज तैयार किया जाएगा। इसके बाद गौना उत्सव आयोजित किया जाएगा, जो कनक भवन की सबसे विशिष्ट परंपरा है।” पूरे कनक भवन को देसी-विदेशी फूलों, झालरों और विशेष रोशनी से सजाया गया है।इस दिन भक्तों की सबसे लंबी भीड़ उमड़ती है। नृत्य करती महिलाएं, पुष्पवर्षा करते श्रद्धालु राम पथ पर जगमगाती झालरों की रोशनी वातावरण को दिव्य बना रही है। जगह-जगह लट्टू लाइटें हल्के पीले, लाल और नीले रंग में चमक रही हैं।सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक परिधान में नृत्य करती हुई बारात के साथ चल रही हैं। छोटे बच्चे राम-लक्ष्मण के रूप में सजे हैं। किशोरियां पुष्पवर्षा कर रही हैं।कई लोग छतों से दीपक जलाकर बारात का स्वागत कर रहे हैं। अयोध्या के स्थानीय घरों में महिलाओं ने आंगन में विशाल रंगोली बनाई है, जिनमें कमल, शंख और धनुष-बाण के प्रतीक उकेरे गए हैं। दुकानदार अपनी दुकानों को फूल-मालाओं से सजाकर बारात देखने बाहर खड़े हैं।रास्ते के हर मोड़ पर “जय श्रीराम” का उद्घोष वातावरण को पवित्र बना रहा है।
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