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अयोध्या में तीन दिवसीय 44वां रामायण मेला सम्पन्न:अंतिम दिन उमड़े श्रद्धालु, राम राज्याभिषेक ने बांधा समां

रामनगरी अयोध्या में श्रद्धा और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। रामायण मेला समिति अयोध्या द्वारा आयोजित तीन दिवसीय रामायण मेला शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। अंतिम दिन हजारों श्रद्धालु परिसर में मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलन कर की। कार्यक्रम में समिति के महामंत्री कमलेश सिंह, डॉ. सुनीता शास्त्री, एस.एन. सिंह, नंद कुमार मिश्रा, पेड़ा महाराज मौजूद रहे। प्रवचनकर्ताओं में रामशरण दास रामायणी, रामकृष्ण दास रामायणी, रामकुमार दास रामायणी और हनुमान दास रामायणी शामिल थे। रामलीला का मंचन कार्यक्रम का केंद्र
अंतिम दिवस का मुख्य आकर्षण राम राज्याभिषेक का नाट्य मंचन रहा। कलाकारों ने ऐतिहासिक दृश्य का ऐसा मनोहारी प्रदर्शन किया कि पूरा पंडाल जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। दर्शकों ने तालियों और जयकारों के साथ कलाकारों का उत्साह बढ़ाया। राम के राज्याभिषेक के दृश्य को देखकर कई भक्त भावुक होते दिखाई दिए। प्रवचन सत्र में मिली जीवन मूल्यों की सीख रामलीला के बाद आयोजित प्रवचन सत्र में संत महात्माओं और विद्वानों ने रामायण के महत्व, आदर्श जीवन, धर्म और कर्तव्य पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि रामायण केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि आदर्श जीवन जीने का मार्गदर्शन है।संतों ने यह भी कहा कि समाज में शांति, करुणा और मर्यादा का भाव तभी स्थापित होगा, जब जीवन में रामायण की शिक्षाओं को आत्मसात किया जाएगा। सांस्कृतिक संध्या में स्थानीय कलाकारों ने मोहा मन
समापन के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में स्थानीय कलाकारों ने लोकनृत्य, भजन व संगीत की प्रस्तुतियां दीं। भजन–कीर्तन की धुनों पर श्रद्धालु झूम उठे।कार्यक्रम के दौरान भक्ति–रस से सराबोर माहौल देर रात तक बना रहा। रामायण मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर: महापौर
महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि “रामायण मेला अयोध्या की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक है। यह आयोजन समाज में सद्भाव और आदर्श जीवन के संदेश को मजबूत करता है। भगवान राम की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।” लगातार 44 वें वर्ष आयोजित मेला
समिति के संयोजक आशीष मिश्रा ने बताया कि रामायण मेला लगातार 44 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष भी रामायण के विभिन्न प्रसंगों का मंचन और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने मेले को खास बना दिया। उन्होंने समिति के सभी सदस्यों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।


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