लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि मोदी सरकार विदेशी मेहमानों को विपक्षी नेता से मिलने से रोक रही है क्योंकि वह खुद को असुरक्षित महसूस करती है। उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई विशिष्ट विदेशी मेहमान भारत आता है या वह विदेश जाते हैं तो सरकार की तरफ से कहा जाता है कि उनसे (राहुल से) मुलाकात नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस नेता ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से कुछ घंटे पहले यह दावा किया।
इस बीच, विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि किसी भी आधिकारिक विदेशी दौरे के दौरान मंत्रालय की जिम्मेदारी केवल सरकारी अधिकारियों और निर्धारित सरकारी संस्थाओं के साथ मुलाक़ातों को सुगम बनाना होती है। मंत्रालय ने कहा कि सरकारी ढांचे से बाहर होने वाली किसी भी बैठक या कार्यक्रम का आयोजन पूरी तरह उस विदेशी प्रतिनिधिमंडल के विवेक पर निर्भर करता है।
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सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया कि 9 जून 2024 को राहुल गांधी के विपक्ष के नेता का पद संभालने के बाद से कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय नेता उनसे मुलाक़ात कर चुके हैं। इनमें 10 जून 2024 को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना, 21 अगस्त 2024 को मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवार इब्राहिम, 8 मार्च 2025 को न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन और 16 सितंबर 2025 को मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन सभी मुलाक़ातों का कार्यक्रम संबंधित विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने स्वयं तय किया था और इन्हें सरकार के आधिकारिक प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं माना जाता। मंत्रालय ने दोहराया कि भारत आने वाले किसी भी उच्चस्तरीय अतिथि को केवल सरकारी स्तर की बैठकों के लिए ही MEA सहायता उपलब्ध कराता है, जबकि अन्य राजनीतिक या व्यक्तिगत संपर्क उन अतिथियों की स्वतंत्र पहल होती है।
जहां तक राहुल गांधी के बयान की बात है तो आपको बता दें कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आमतौर पर यह परंपरा रही है कि जो विदेशी मेहमान भारत आते हैं उनकी नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात होती है। यह अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय होता था और मनमोहन सिंह जी के समय भी होता था। आजकल यह होता है कि जब बाहर से कोई आता है या मैं कहीं बाहर जाता हूं तो सरकार सुझाव देती है कि बाहर से आने वाले अतिथि या उनके (राहुल के) बाहर जाने पर वहां के लोग नेता प्रतिपक्ष से नहीं मिलें।’’ उनका कहना था कि सरकार यह हर बार करती है। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व हम भी करते हैं, सिर्फ सरकार नहीं करती है। सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के लोग बाहर के लोगों से मिलें।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘यह परंपरा है, लेकिन मोदी जी इसका पालन नहीं कर रहे हैं, विदेश मंत्रालय पालन नहीं कर रहा है। यह उनकी असुरक्षा की भावना है।’’
राहुल गांधी के बयान पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने दावा किया कि यह सरकार असुरक्षा का भाव रखती है। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘एक प्रोटोकॉल होता है। आने वाले सभी बड़े लोग नेता प्रतिपक्ष से मिलते हैं। सरकार प्रोटोकॉल को तोड़ रही है और उनकी सारी नीतियां इसी पर आधारित हैं। वे नहीं चाहते कि कोई दूसरी आवाज उठे। वे किसी और की राय नहीं सुनना चाहते। उन्हें लोकतंत्र में प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए।’’ एक सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘भगवान जाने, उन्हें किस बात का डर है… लोकतंत्र में हर किसी को अपनी राय रखने का हक होना चाहिए, चर्चा होनी चाहिए, और सही कदम उठाया जाना चाहिए… सरकार असुरक्षित महसूस करती है और यह फैसला उसी का नतीजा है।’’ उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले से दुनिया में भारत के लोकतंत्र की छवि खराब हो रही है।
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