दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति ने न केवल भारत की वैश्विक भूमिका को रेखांकित किया, बल्कि “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” के उनके दृष्टिकोण को फिर से वैश्विक विमर्श के केंद्र में ला दिया। यह प्रधानमंत्री मोदी की जी-20 सम्मेलनों में 12वीं भागीदारी है। यह एक ऐसी निरंतरता है जो भारत की दीर्घकालिक कूटनीति और वैश्विक नेतृत्व के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
हम आपको बता दें कि जोहान्सबर्ग में हुए पहले सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने “समावेशी और सतत विकास” को ही समृद्ध दुनिया की आधारशिला बताया। भारत की सभ्यतागत सोच, विशेषकर “समन्वित मानववाद” को उद्धृत करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे विकास और पर्यावरणीय संतुलन एक-दूसरे के पूरक हैं, विकल्प नहीं। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में चार महत्वपूर्ण वैश्विक पहलों का प्रस्ताव रखा है। यह पहले हैं- ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपॉजिटरी, जी-20–अफ्रीका स्किल्स मल्टीप्लायर पहल, ड्रग–टेरर नेक्सस से निपटने की जी-20 पहल और स्वास्थ्य आपदाओं से निपटने के लिए जी-20 ग्लोबल हेल्थकेयर रिस्पॉन्स टीम।
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इन पहलों से स्पष्ट है कि भारत वैश्विक चुनौतियों को केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों में भी समझता है। विशेष रूप से ड्रग–टेरर नेक्सस पर प्रस्तावित पहल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग को एक नई दिशा दे सकती है, क्योंकि यह अवैध वित्तपोषण और तस्करी तंत्र को तोड़ने में सहायक होगी।
दूसरी ओर, इस शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति की अनुपस्थिति ने एक दिलचस्प कूटनीतिक अवसर प्रस्तुत किया है। अक्सर वैश्विक एजेंडा निर्धारित करने में अमेरिका की निर्णायक मौजूदगी रहती है, लेकिन इस बार भारत की भूमिका और वक्तव्य अधिक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। अमेरिका के न होने से भारत को वार्ता के एजेंडे को आकार देने का अधिक अवसर मिला, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के उभरते देशों पर भारत का प्रभाव गहरा हुआ और ग्लोबल साउथ की आवाज़ को भारत ने अधिक दृढ़ता से दुनिया के सामने रखा। साथ ही भारत–अफ्रीका संबंधों को मजबूती देने के लिए यह शिखर सम्मेलन एक स्वर्णिम अवसर बन गया, जिसमें भारत ने अपनी विकास–सहयोग कथा को साझा किया।
हम आपको यह भी बता दें कि शिखर सम्मेलन के दौरान एक हल्का-फुल्का लेकिन अत्यंत प्रभावी क्षण उस समय आया जब प्रधानमंत्री मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी आपसी हँसी–मज़ाक और आत्मीयता से मिले। दोनों नेताओं की यह सहज मुलाकात सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गई। दुनिया भर के यूजर्स ने इस ‘कैंडिड मोमेंट’ को एक नए “#Melodi” ट्रेंड के रूप में देखा, जो उनकी पिछली मुलाकातों में भी उभरा था। देखा जाये तो अंतरराष्ट्रीय राजनीति में जहाँ औपचारिकता सामान्य है, वहाँ यह अनौपचारिक गर्मजोशी कूटनीतिक संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। इटली और भारत के बीच रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और इंडो–पैसिफिक सहयोग बढ़ रहा है और यह मुलाकात दो लोकतांत्रिक साझेदारों के बीच विश्वास का प्रतीक बनी।
इसके अलावा, जोहान्सबर्ग में प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत एक दृश्यात्मक संदेश था कि भारत वैश्विक मंच पर एक सांस्कृतिक शक्ति भी है। 11 भारतीय राज्यों की लोककलाओं ने “Rhythms of a United India” के माध्यम से भारतीय प्रवासी समुदाय की भारत से भावनात्मक जुड़ाव को प्रदर्शित किया। प्रधानमंत्री ने इसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि विदेशों में बसे भारतीय अपनी जड़ों से गहराई से जुड़े हुए हैं।
जहां तक प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय मुलाकातों की बात है तो आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ के साथ हुई बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। दोनों नेताओं ने रक्षा व सुरक्षा सहयोग, ऊर्जा और क्रिटिकल मिनरल्स, शिक्षा, तकनीकी नवाचार, लोगों-से-लोगों के संबंध पर व्यापक चर्चा की। अल्बनीज़ ने भारत में हाल ही हुए आतंकी हमले पर एकजुटता जताई और दोनों प्रधानमंत्री एक बार फिर वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध हुए।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा, कनाडा और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों सहित कई विश्व नेताओं से मुलाकात की, जहाँ जलवायु, आपदा प्रबंधन, डिजिटल अर्थव्यवस्था और कौशल विकास पर संवाद आगे बढ़ा। इन मुलाकातों का उद्देश्य केवल द्विपक्षीय हित नहीं, बल्कि वैश्विक संकटों के सामूहिक समाधान का सूत्रपात भी है।
बहरहाल, जी-20 जोहान्सबर्ग शिखर सम्मेलन 2025 यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अब केवल प्रतिभागी नहीं, बल्कि वैश्विक एजेंडा–निर्माता है। अमेरिका प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय भागीदारी, रणनीतिक मुलाकातें और वैश्विक मुद्दों पर संतुलित, लेकिन दृढ़ भारतीय दृष्टिकोण ने यह दिखाया कि भारत आज दुनिया की बहुध्रुवीय व्यवस्था का एक केंद्रीय स्तंभ है। अफ्रीका में आयोजित यह शिखर सम्मेलन भारत–अफ्रीका–ग्लोबल साउथ त्रिकोण को मजबूत करने वाला साबित हुआ। साथ ही मोदी–मेलोनी जैसे सहज कूटनीतिक क्षण हों या ऑस्ट्रेलिया जैसी रणनीतिक साझेदारियाँ, भारत की विदेश नीति अब बहुआयामी, सांस्कृतिक, आर्थिक और सुरक्षा–केंद्रित दृष्टि का मिश्रण बन चुकी है।
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