खगड़िया में साइबर अपराधियों की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। ठगों ने खुद को बिहार का DGP विनय कुमार बताकर SP खगड़िया राकेश कुमार से पैसे वसूलने का प्रयास किया। खगड़िया साइबर थाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो साइबर ठगों को गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरोह के बाकी सदस्य फरार हैं, जिनकी तलाश में विशेष टीम लगातार छापेमारी कर रही है। यह घटना 10 अक्टूबर 2025 को सामने आई, जब एसपी खगड़िया के सरकारी मोबाइल नंबर 90318282210 पर एक अज्ञात नंबर 8286663274 से वॉट्सऐप संदेश आया। संदेश भेजने वाले ने खुद को बिहार के DGP विनय कुमार बताया और अत्यंत गोपनीयता के साथ तत्काल आर्थिक सहयोग की मांग की। गूगल पे अकाउंट नंबर भी भेजा गया था संदेश में एक गूगल पे अकाउंट नंबर भी भेजा गया था, जिसमें तुरंत पैसे ट्रांसफर करने की बात कही गई थी। एसपी राकेश कुमार को संदेश के तरीके और प्रकृति पर संदेह हुआ। उन्होंने तुरंत साइबर थाना को इसकी सूचना दी, जिसके बाद पु.नि. श्वेता भारती के बयान पर कांड संख्या 42/25 दर्ज कर जांच शुरू की गई। एसपी राकेश कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष तकनीकी टीम का गठन किया। इस टीम में पु.उपा. निशांत गौरव, पु.अ.नि. चंद्रकांत कुमार, सिपाही गुलशन कुमार और सशस्त्र बल के जवान शामिल थे। पुलिस ने 2 अपराधियों को गिरफ्तार किया टीम ने मोबाइल नंबरों, वॉट्सऐप प्रोफाइल, गूगल पे अकाउंट और नेटवर्क लोकेशन की तकनीकी जांच की। डिजिटल ट्रैकिंग के आधार पर पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में सफल रही और वैशाली के बैराटी थाना क्षेत्र में छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 2 अपराधियों को गिरफ्तार किया। सक्रिय साइबर ठगी गिरोह के सदस्य उनकी पहचान इस प्रकार है, मधुकांत कुमार और निखिल कुमार उर्फ निखिल के रूप में हुई है। पूछताछ में दोनों ने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि वे एक सक्रिय साइबर ठगी गिरोह के सदस्य हैं। यह गिरोह लोगों को रोजगार या बैंकिंग सुविधाओं का लालच देकर उनके नाम से फर्जी सिम कार्ड और बैंक खाते खुलवाता था। बाद में इन्हीं खातों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर ऑनलाइन ठगी, पैसों की वसूली और धोखाधड़ी में किया जाता था। बरामदगी और गिरोह की गतिविधियां पुलिस ने उनके कब्जे से दो मोबाइल फोन, दो बैंक पासबुक, दो आधार कार्ड, एक पैन कार्ड और दो सक्रिय सिम कार्ड बरामद किए हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि यह गिरोह बिहार के कई जिलों में फर्जी पहचान के माध्यम से ठगी की बड़ी वारदातों को अंजाम देता रहा है। गिरोह के मुख्य संचालक और अन्य सदस्य फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए टेक्निकल और फिजिकल सर्विलांस जारी है। पुलिस की तत्परता से टली बड़ी वारदात यदि समय रहते एसपी को संदेह नहीं होता और पुलिस टीम तुरंत कार्रवाई नहीं करती, तो अपराधियों की यह बड़ी साजिश सफल हो सकती थी। पुलिस की सक्रियता के कारण न सिर्फ ठगी की कोशिश विफल हुई बल्कि साईबर अपराध के एक संगठित गिरोह का भी पर्दाफाश हुआ। पुलिस ने कहा है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं। साथ ही आम जनता से अपील की है कि किसी भी अज्ञात कॉल, मैसेज या भुगतान लिंक पर भरोसा न करें और तुरंत पुलिस को सूचित करें।
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