झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने असम में चाय बागान श्रमिकों को भू स्वामित्व अधिकार देने वाले विधेयक को पारित करने के लिए असम सरकार की सराहना की।
असम विधानसभा ने शुक्रवार को एक संशोधन विधेयक पारित किया था। यह विधेयक सरकार को चाय बागानों की ‘लेबर लाइन’ में आवास स्वामित्व के लिए श्रमिकों को भूमि वितरित करने की अनुमति देगा।
सोरेन ने शनिवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि असम सरकार के इस फैसले से लाखों आदिवासियों और अन्य श्रमिकों को लाभ होगा, जो 200 वर्षों से वहां बसे हुए हैं।
भाजपा नेता ने चाय बागान श्रमिकों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने के असम कैबिनेट के फैसले का भी स्वागत किया। इन श्रमिकों में से अधिकांश झारखंड की धरती से जुड़े आदिवासी हैं।
झारखंड के सरायकेला से भाजपा विधायक सोरेन ने आरोप लगाया कि असम की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने राज्य में वर्षों से बसे इन श्रमिकों के अधिकारों को नजरअंदाज किया है।
शर्मा ने रविवार को सोशल मीडिया मंच पर प्रतिक्रिया देते हुए सोरेन के प्रेरणादायक शब्दों के लिए उनकी सराहना की।
शर्मा ने कहा कि चाय समुदाय और जनजातीय समाज के अधिकारों को मजबूत करना “हमारी सरकार की सर्वोच्च प्रतिबद्धता” है।
उन्होंने कहा, “आपकी शुभकामनाएं हमें सभी चाय श्रमिक परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती रहेंगी।
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