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99 प्रतिशत मामलों में असुरक्षित यौन संबंध से एचआईवी संक्रमण

सिटी रिपोर्टर | जहानाबाद विश्व एड्स दिवस पर सोमवार को जिले में विभिन्न संस्थानों के द्वारा जागरुकता के कार्यक्रमों का आयोजन कर अपने अपने तरीके से सतर्कता के संदेश दिए गए। सदर अस्पताल के अधीक्षक डा. प्रमोद कुमार की अगुआई में एक जागरूकता परिचर्चा का आयोजन किया गया तो स्थानीय स्वामी सहजानंद सरस्वती कॉलेज में भी सोमवार को विश्व एड्स दिवस के अवसर पर आइक्यूएसी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के संयुक्त तत्वावधान में एड्स संबंधी जागरूकता पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. अंशु कुमार मल्लिक ने कहा कि सूचना क्रांति के इस दौर में सही जानकारी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एड्स और अन्य यौन संचारित रोगों के बारे में उचित जानकारी ही बचाव का सबसे प्रभावी माध्यम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक और समर्पित प्रयासों से एड्स जैसी गंभीर बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण अवश्य संभव है। डॉ. मल्लिक ने संस्कृत श्लोक उद्धृत करते हुए स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि ‘निरोगी होना ही परम भाग्य है, तथा स्वास्थ्य से ही सभी कार्य सिद्ध होते हैं।’ उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप आदर्श दाम्पत्य जीवन और अनुशासित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दी। वनस्पति विज्ञान विभाग के सुनील कुमार सिंह ने एचआईवी/एड्स के कारण, प्रभाव, बचाव तथा जागरूकता की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एड्स एक संक्रामक रोग अवश्य है, परंतु यह सामान्य स्पर्श, साथ बैठने या साथ कार्य करने से नहीं फैलता। इसलिए एड्स पीड़ितों से दूरी नहीं, बल्कि सहयोग, संवेदना और सद्भावना की आवश्यकता है। कार्यक्रम में एनएसएस के स्वयंसेवकों एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं के साथ-साथ अमृता कुमारी, नारायणजी, रुपेश कुमार आदि मौजूद रहे। जागरुकता ही एड्स से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय विश्व एड्स दिवस पर सदर अस्पताल में में जिला एड्स नियंत्रण इकाई के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सदर अस्पताल के अधीक्षक डा. प्रमोद कुमार ने कहा कि एचआईवी से बचाव के लिए जागरूकता सबसे बड़ा उपाय है। असुरक्षित यौन संबंध से लोगों को बचने की सलाह देते हुए उन्होने कहा कि लगभग निन्यानवे प्रतिशत संक्रमण इसी वजह से होता है। नवजात बच्चों में मां की वजह से संक्रमण पकड़ता है। मौके पर उपस्थित डा चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि एड्स बीमारी की जांच के लिए सदर अस्पताल में जांच की व्यवस्था है। लोगों को एचआईवी की जांच जरूर करानी चाहिए। डा.बीके झा ने बताया कि एचआईवी पॉजिटिव आने पर गया में सीडी-4 जांच कराकर पुष्टि की जाती है। उसके बाद संक्रमितों को दवा दी जाती है। उन्होंने इस जांच की स्थानीय स्तर पर आवश्यकता को बल दिया। डीटीओ डा.विनोद कुमार ने बताया कि एचआईवी संक्रमितों को खाने पीने से लेकर दवा तक की भी सरकारी स्तर पर व्यवस्था की जाती है। मरीजों को खानपान ठीक रखने के लिए पंद्रह सौ प्रति माह सरकारी स्तर पर दिया जाता है, जबकि 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को परिवरिस योजना के तहत एक हजार रुपए दिया जाता है। पदाधिकारियों ने पीड़ितों को सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आगे आने का आह्वान किया।


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