कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल प्रदेश में पार्टी की कमान स्व. वीरभद्र सिंह के करीबी विनय कुमार को सौंपी है। विनय की ताजपोशी करके पार्टी ने पावर बैलेंस किया। प्रदेश में सरकार सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू चलाते रहेंगे, जबकि संगठन में सुक्खू विरोधी खेमा यानी होलीलॉज और मुकेश अग्निहोत्री गुट को अधिमान दिया है। प्रदेश कांग्रेस गुटों में बंटी हुई है। वर्तमान में दो प्रमुख धड़े माने जाते हैं। पहला, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू समर्थकों का और दूसरा होलीलॉज पर आस्था रखने वालों का। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद से डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री का अलग गुट जरूर गिना जाता है। मगर मुकेश अग्निहोत्री अपने आपको को खुद वीरभद्र थोट ऑफ स्कूल का विद्यार्थी बता चुके हैं। इस वजह से विनय की ताजपोशी को होलीलॉज कैंप के मान-सम्मान के तौर पर देखा जा रहा है। हाईकमान ने विनय की ताजपोशी के ऑर्डर में भी पूर्व अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के कार्यकाल की भी सराहना की है। विनय का सीएम सुक्खू भी विरोध नहीं कर पाए दरअसल, CM सुखविंदर सुक्खू ने कसौली से विधायक सुल्तानपुरी और भोरंज से MLA सुरेश कुमार का नाम अध्यक्ष के लिए आगे किया। इन दो नाम के चर्चा में आने के बाद मुकेश अग्निहोत्री ने विनय कुमार के नाम का प्रस्ताव हाईकमान के पास रखा। विनय कुमार को उनकी ताजपोशी में होलीलॉज का पूरा समर्थन मिला। सुरेश और सुल्तानपुरी से ज्यादा अनुभवी विनय का सीएम सुक्खू भी विरोध नहीं कर पाए। जिस गुट का सीएम रहा, उस गुट का अध्यक्ष कभी नहीं रहा राजनीति के जानकार बताते हैं कि प्रदेश की राजनीति में पहले भी कभी ऐसा नहीं हुआ कि जिस गुट का मुख्यमंत्री हो, उसी गुट का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। पूर्व में जब लंबे समय तक वीरभद्र सिंह राज्य के मुख्यमंत्री रहे तो उनके विरोधी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई। राज्य में वीरभद्र विरोधी खेमे से विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर और सुखविंदर सिंह सुक्खू लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे। विनय कुमार की ताजपोशी में भी हाईकमान ने इस बात का ध्यान रखा है। हाईकमान ने खेला SC कार्ड विधायक विनय कुमार एससी नेता है। वह, शिमला संसदीय क्षेत्र और सिरमौर जिला की श्रीरेणुकाजी विधानसभा से विधायक है। उनकी ताजपोशी करके कांग्रेस ने SC कार्ड खेला है। शिमला संसदीय क्षेत्र में SC आबादी लगभग 27 प्रतिशत है। इस आबादी को साधने की कोशिश की है। 3 साल तक कांग्रेस के वर्किंग प्रेसिडेंट रह चुके विनय कुमार संगठन में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के साथ उन्होंने पौने तीन साल तक वर्किंग प्रेसिडेंट के तौर पर काम किया। मौजूदा सरकार में वह विधानसभा में डिप्टी स्पीकर रहे। मगर उन्होंने बीते कल ही इस पद से इस्तीफा दिया। इसे स्पीकर ने स्वीकार भी कर दिया है। पूर्व वीरभद्र सरकार में वह मुख्य संसदीय सचिव (CPS) भी रह चुके हैं। श्रीरेणुकाजी से वह लगातार 3 बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। यहां से विनय से पहले उनके पिता प्रेम सिंह भी 6 बार विधायक रहे हैं। प्रेम सिंह भी वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी रहे हैं। विनय कुमार जब राजनीति में आए तो उन्हें वीरभद्र सिंह ने ही 2012 में टिकट दिलाया। जीरो से संगठन खड़ा करना होगा विनय के सामने अब जीरो से संगठन को खड़ा करने की चुनौती होगी, क्योंकि प्रदेश में एक साल 18 दिन से संगठन नहीं है। कांग्रेस वर्कर इससे पूरी तरह मायूस है। उन्हें राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर नई टीम तैयार करनी होगी और 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए अभी से तैयारियों में जुटना होगा। डिप्टी स्पीकर के लिए चर्चाएं शुरू डिप्टी स्पीकर पद से इस्तीफे के बाद चर्चा शुरू हो गई कि कौन नया विधानसभा उपाध्यक्ष बनेगा। इसकी दौड़ में ज्वालाजी से संजय रत्न, धर्मपुर से चंद्रशेखर और पालमपुर से आशीष बुटेल माने जा रहे हैं।
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