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स्पीकर बनने के बाद बिहार घूमेंगे प्रेम कुमार:बोले- क्षेत्र के लिए मैंने काम किया, यही मेरी लगातार जीत का राज है

बिहार विधानसभा में बीजेपी नेता डॉ. प्रेम कुमार को अध्यक्ष चुना गया है। वे गया टाउन से 9वीं बार विधानसभा का चुनाव जीत कर आए हैं। उनकी गिनती पढ़े-लिखे नेता के रूप में इसलिए होती है कि उन्होंने इतिहास विषय में पीएचडी की डिग्री ली है। वे चंद्रवंशी कहार जाति से आते हैं। यह जाति बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में गिनी जाती है। बिहार में सबसे बड़ी आबादी अति पिछड़ों की ही है। बिहार जाति सर्वे के अनुसार, राज्य में अति पिछड़ी आबादी 36 फीसदी है। बीजेपी ने प्रेम कुमार को विधानसभा में विधान सभा अध्यक्ष का बड़ा पद देकर अति पिछड़ा समाज में बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है। भास्कर ने विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद उनसे खास बातचीत की। पढ़ें पूरा इंटरव्यू… सवाल- इतने लंबे समय से गया टाउन से विधान सभा चुनाव जीतने का राज क्या है? जवाब- यह जनता का स्नेह है। जनता के सुख-दुख में हमेशा एव लेवल रहना। मंत्री बनने के बावजूद मैं पटना में कम और अपने क्षेत्र में ज्यादा रहता हूं। यह हमारी लगातार जीत का राज है। सवाल- विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद आप पटना तक ही केन्द्रित तो नहीं रह जाएंगे? जवाब- अब तो मैं पूरा बिहार घूमूंगा। सवाल- अपने संघर्ष को किस तरह से अब याद कर रहे हैं? जवाब- जब तक जीवन है संघर्ष है। जनता और शीर्ष नेताओं का आशीर्वाद है। गया जी के भाइयों और बहनों को मैं नमन करता हूं। मेरे संघर्ष में सबसे अधिक योगदान जनता का रहा है। सवाल- आपके पास कोई राजनीतिक विरासत नहीं है। आप परिवारवाद के उलट खुद से राजनीति में आगे बढ़े हैं। अपने मां-पिता को किस रूप में याद करते हैं? जवाब- उनको मैं नमन करता हूं। मेरी मां और मेरे पिता ही मेरे प्रेरणा स्रोत रहे हैं। मेरे पिता जी बैंक की नौकरी में थे। हमलोग ग्रामीण परिवेश में रहते थे। पिता की सरकारी नौकरी की वजह से हम शहर में आए। सवाल- राजनीति में आपका रुझान कैसे आया? जवाब- बात 1974 की है। मैं गया कॉलेज का छात्र था। उस समय छात्रों के सवाल पर बिहार में बड़ा आंदोलन शुरू हुआ। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की अगुआई में, जननायक कर्पूरी ठाकुर, रामानंद तिवारी, महामाया बाबू, नाना साहेब देशमुख के प्रभावित हुआ। मैं उस समय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में था। यहीं से मेरी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई’। ‘1975 में देश में आपातकाल लग गया। इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध घोषित हो गया। मुरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, एलके आडवाणी, चौधरी चरण सिंह और बिहार में कर्पूरी ठाकुर जैसे नेता जेल में चले गए। लाखों की संख्या में लोग जेल में गए। आपातकाल खत्म हुआ और फिर चुनाव हुआ। चुनाव में जनता पार्टी की सरकार बनी’। ‘बिहार में जननायक कर्पूरी ठाकुर की अगुआई में लोग काम करने लगे। पार्टी ब्रेक हो गई। तब हम लोग 1980 में भाजपा में आ गए। 1980 से 1990 तक मैंने संगठन के लिए काम किया’। सवाल- अब नया चैलेंज है कि बिहार से भ्रष्टाचार कैसे दूर होगा? जवाब- भ्रष्टाचार दूर करने के लिए सरकार के स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त लोग पकड़े जा रहे हैं। टॉल फ्री नंबर जारी किया गया है। बिहार में जीरो टॉलरेंस की नीति भ्रष्टाचार के सवाल हमारी सरकार का है।


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