भास्कर न्यूज | सुपौल जिलाधिकारी सावन कुमार ने सोमवार को सदर प्रखंड के सुखपुर स्थित पर्यवेक्षण गृह का उद्घाटन किया। जहां बताया कि राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग अंतर्गत जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा संचालित इस बाल देखरेख संस्थान में वैसे किशोरों के आवासन, देखरेख एवं संरक्षण की व्यवस्था की गई है, जो विधि विवादित हों। किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुसार विधि विवादित बालक उन्हें कहा जाता है, जिनकी आयु 18 वर्ष पूरी नहीं हुई हो एवं जिनके बारे में किसी अपराध के किए जाने की सूचना दी गई हो। ऐसे बच्चों के मामलों पर विचार एवं न्याय-निर्णयन पर्यवेक्षण गृह परिसर में ही संचालित किशोर न्याय परिषद् द्वारा किया जाता है। जिले में पर्यवेक्षण गृह की स्थापना से पूर्व इस जिले के विधि विवादित बच्चों को मधेपुरा के पर्यवेक्षण गृह में भेजा जाता था एवं उनसे संबंधित मामलों की सुनवाई की तिथि को उन्हें किशोर न्याय परिषद् सुपौल के समक्ष उपस्थापित करना पड़ता था। ऐसे बच्चे अपने मामलों के विचाराधीन रहने की अवधि तक पर्यवेक्षण गृह में आवासित रहकर काउंसलिंग एवं विधिक सहायता के माध्यम से सुधार के अवसर प्राप्त करते हैं। पर्यवेक्षण गृह के उद्घाटन के बाद डीएम, किशोर न्याय परिषद् के प्रधान दंडाधिकारी एवं सहायक निदेशक बाल संरक्षण द्वारा पर्यवेक्षण गृह परिसर का निरीक्षण कर इसमें विधि विवादित बच्चों के आवासन, देखरेख एवं संरक्षण के लिए उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया गया। साथ ही इस गृह के कर्मियों को बेहतर संचालन से संबंधित निदेश दिए गए। मौके पर किशोर न्याय परिषद् सुपौल के दंडाधिकारी अरविन्द मिश्रा, सहायक निदेशक बाल संरक्षण दिवेश कुमार शर्मा, किशोर न्याय परिषद् सुपौल के दो सामाजिक सदस्य, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष एवं सदस्य के साथ अन्य विभागीय पदाधिकारी एवं कर्मी उपस्थित थे।
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