सीवान जिला प्रशासन की लापरवाही एक बार फिर बुधवार को जिला स्थापना दिवस के कार्यक्रमों में साफ दिखाई दी। सुबह से लेकर शाम तक चले आयोजनों में लाखों के बजट का दावा किया गया, लेकिन जमीनी हकीकत पूरी तरह इसके उलट दिखी। संध्या में गांधी मैदान में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में जनता नदारद रही और पूरा पंडाल लगभग खाली दिखाई दिया। वहीं, अव्यवस्थाओं से आक्रोशित लोगों ने इसे प्रशासन की “खानापूर्ति” और “कागजी खर्च” का उदाहरण बताया। सुबह के शुभारंभ कार्यक्रम से ही कुव्यवस्था हावी रही। प्रभात फेरी और अन्य आयोजनों में बैठने–खड़े होने की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों में नाराजगी रही। स्थानीय लोगों के अनुसार कई अतिथि व आम नागरिक वापस लौट गए, जिसका सीधा असर शाम के कार्यक्रम पर पड़ा। संध्या में निर्धारित समय पर कार्यक्रम शुरू तो होना था, लेकिन जिला अधिकारी डॉ. आदित्य प्रकाश स्वयं मौजूद नहीं रहे। ऐसे में अपर समाहर्ता प्रमोद कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुरुआत की। सरकारी विद्यालयों के बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुतियां दीं शुरुआत में सरकारी विद्यालयों के बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुतियां दीं। इस दौरान उनके परिजन और कुछ स्थानीय लोग मौजूद भी रहे। लेकिन बच्चों की प्रस्तुति समाप्त होते ही अधिकांश लोग कार्यक्रम स्थल से हट गए। इसके बाद पटना से आए गजल गायक अभिषेक पाठक ने मंच संभाला, मगर उनकी प्रस्तुति केवल सरकारी अफसरों की मौजूदगी में चलती रही। कर्मचारी तक भी नहीं दिखे, जिससे पूरा पंडाल वीरान नजर आया। जिला पदाधिकारी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और खाली पंडाल देखा स्थिति तब और शर्मनाक हो गई जब जिला पदाधिकारी कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे और खाली पंडाल देखा। परिणामस्वरूप तय समय से पहले ही कार्यक्रम को समाप्त करने का निर्देश दे दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला स्थापना दिवस के इतिहास में पहली बार इतना कमजोर आयोजन देखने को मिला है। हर साल की तरह इस बार भी भारी खर्च दिखाया गया, लेकिन मैदान में न तो जनता दिखी और न ही प्रबंधन का स्तर। कार्यक्रम का उद्देश्य केवल औपचारिकता निभाना था – स्थानीय लोग लोगों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि कार्यक्रम का उद्देश्य केवल औपचारिकता निभाना था। न तो जनता को जोड़ने की कोशिश की गई और न ही पारदर्शिता दिखाई गई। सांस्कृतिक संध्या जैसे महत्वपूर्ण आयोजन को बिना योजना और समन्वय के अचानक खत्म कर देना लोगों के बीच नाराजगी का बड़ा कारण बना है। कुल मिलाकर, सीवान जिला स्थापना दिवस समारोह इस बार पूरी तरह अव्यवस्थाओं, जवाबदेही की कमी और सरकारी धन के दुरुपयोग का प्रतीक बनकर रह गया।
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