दैनिक भास्कर की बुधवार को प्रकाशित प्रमुख खबर का बड़ा असर सामने आया है। ICDS विभाग के अंतर्गत मैरवा, रघुनाथपुर और गोरेयाकोठी परियोजना में करीब दो महीनों से खाली पड़े पदाधिकारी की पदस्थापना आखिरकार कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि इन तीनों परियोजना कार्यालयों में अक्टूबर 2025 से पदाधिकारी नहीं होने के कारण 0 से 6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं के लिए संचालित योजनाएं पूरी तरह ठप पड़ी थीं। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से मिलनी वाली सभी सेवाएं बाधित थीं, जिससे हजारों लाभुक प्रभावित हो रहे थे। खबर प्रसारित होने के कुछ घंटों बाद ही पदस्थापना से संबंधित पत्र सामने आ गया। लेकिन जब दैनिक भास्कर के हाथ वह पत्र लगा, तो मामला और भी चौंकाने वाला निकला। पत्र के अनुसार, निवर्तमान जिला पदाधिकारी डॉ. आदित्य प्रकाश ने पहले ही 29 नवम्बर को तीनों परियोजनाओं में पदाधिकारियों की पदस्थापना अनुमोदित करते हुए पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे। सवाल यह है कि जब डीएम ने पत्र 29 नवम्बर को ही जारी कर दिया था, तो वह अब तक दबा क्यों पड़ा था? पत्र सामने आने के बाद दावा संदेह के घेरे में मंगलवार को जब इस संबंध में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (DPO-ICDS) तरणि कुमारी से भास्कर ने बात की थी, तो उन्होंने दावा किया था कि पदस्थापना फाइल डीएम कार्यालय में पेंडिंग है। लेकिन पत्र सामने आने के बाद यह दावा संदेह के घेरे में है। विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए खबर उजागर होने के बाद विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। परियोजनाओं में पदाधिकारी की अनुपस्थिति और पत्र जारी होने के बावजूद उसे सार्वजनिक न करना विभागीय लापरवाही को उजागर करता है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वे लाभुक हुए, जिन्हें पोषण, टीकाकरण, टेक-होम-राशन और विभिन्न मातृ एवं शिशु कल्याण कार्यक्रमों का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा था।पत्र सामने आ जाने के बाद अब उम्मीद है कि जल्द ही तीनों परियोजनाओं में कार्य सुचारू रूप से शुरू हो सकेगा और लाभुकों को योजनाओं का लाभ मिल पाएगा।
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