बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के निर्देश पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की एक जांच टीम सोमवार को सहरसा के गांधी पथ स्थित मृतक मनोज साह के आवास पर पहुँची। टीम ने पीड़ित परिवार से विस्तृत बातचीत की और पुलिस प्रशासन की भूमिका पर गंभीर आरोप लगाए। राजद विधायक रणविजय साहू और जिलाध्यक्ष मो. ताहिर के नेतृत्व में पहुंची टीम ने परिवार द्वारा बताए गए तथ्यों पर कई सवाल उठाए। बिजली तार चोरी के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था परिजनों ने बताया कि 27 नवंबर की शाम सौरबाजार थाना पुलिस ने मनोज साह को बिजली तार चोरी के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था। आरोप है कि थाने में उनसे मोटी रकम वसूली गई और बेरहमी से पिटाई की गई। 28 नवंबर की शाम उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया, लेकिन इसके अगले ही दिन उनकी तबीयत बिगड़ गई। पहले सहरसा सदर अस्पताल और फिर एक निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया, जहाँ 3 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। परिवार का स्पष्ट आरोप है कि मनोज की मौत पुलिस पिटाई का परिणाम है। मामले को अप्राकृतिक मृत्यु बताकर दबाने की कोशिश जांच टीम ने बताया कि पुलिस न केवल FIR दर्ज करने से बच रही है, बल्कि मामले को ‘यूडी केस’ (अप्राकृतिक मृत्यु) बताकर दबाने की कोशिश कर रही है। टीम ने कहा कि “यह राज्य में बढ़ते पुलिस अत्याचार का उदाहरण है। अपराधियों के साथ-साथ पुलिस भी भय का माहौल बना रही है। गरीबों का शोषण और दमन बढ़ता जा रहा है। जब थाने में ही FIR दर्ज नहीं हो रही, तो न्याय कैसे मिलेगा?” जिला प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम RJD नेताओं ने कहा कि पार्टी संघर्ष की राह से पीछे हटने वाली नहीं है। टीम ने सहरसा जिला प्रशासन को 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए FIR दर्ज करने, जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने और न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने बताया कि DIG मनोज कुमार, SP हिमांशु और SDPO आलोक कुमार से इस संबंध में वार्ता हुई है। पार्टी ने मांग की कि न्यायिक प्रक्रिया के तहत मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में न्यायिक जांच समिति गठित की जाए और मनोज साह के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि “यह सुनिश्चित किया जाए कि अब किसी मनोज की हत्या न हो, इसके लिए निष्पक्ष न्यायिक जांच आवश्यक है।”
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