सहरसा नगर निगम क्षेत्र में करोड़ों रुपए की लागत से बने नवनिर्मित मुक्तिधाम के अब तक चालू न होने को लेकर स्थानीय लोगों ने रविवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने नगर निगम और बुडको की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि निर्माण पूरा होने के बाद भी जनता को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है, जिससे अंतिम संस्कार जैसी आवश्यक प्रक्रिया के लिए लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासी छोटू शर्मा ने बताया कि वार्ड 29 के 65 साल के मुंसी शर्मा का रविवार को बीमारी से निधन हो गया। नवनिर्मित मुक्तिधाम पर ताला लटका होने के कारण परिजनों को मजबूरन दूसरे के खेत में अंतिम संस्कार करना पड़ा। उन्होंने कहा कि जब करोड़ों की लागत से भवन तैयार हो चुका है, तो उसे संचालित करने में देरी का कोई औचित्य नहीं है। यह प्रशासनिक लापरवाही का एक बड़ा उदाहरण है। सूचीबद्ध सड़क का निर्माण अब तक नहीं किया गया स्थानीय रंजीत शर्मा ने मुक्तिधाम तक पहुंच मार्ग के अभाव को भी एक बड़ी समस्या बताया। उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध सड़क का निर्माण अब तक नहीं किया गया है। बरसात के मौसम में कच्ची सड़क से मुक्तिधाम तक पहुंचना लगभग असंभव हो जाता है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए और भी अधिक कठिनाई पैदा होती है। निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद चालू नहीं हो सका समाजसेवी रोहिण दास ने जानकारी दी कि सहरसा में मुक्तिधाम की स्थापना की मांग वर्ष 2005 में तत्कालीन विधायक संजीव झा ने उठाई थी, जिसके बाद एक मुक्तिधाम बनाया गया था। वर्ष 2024 में इसके जीर्णोद्धार और विस्तार के तहत 8 करोड़ 77 लाख रुपए की लागत से नए मुक्तिधाम का निर्माण शुरू हुआ था, जिसका लक्ष्य जून 2025 तक पूरा होना था। हालांकि, निर्माण कार्य पूरा होने के बावजूद यह अब तक चालू नहीं हो सका है। लोगों का आरोप है कि बुडको की कार्यप्रणाली में शिथिलता के कारण यह स्थिति बनी है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग की है कि मुक्तिधाम को तुरंत चालू किया जाए तथा सड़क निर्माण का कार्य शीघ्र पूरा किया जाए, ताकि किसी भी परिवार को ऐसे संवेदनशील समय में असुविधा न झेलनी पड़े।
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