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श्रमिक कोड के विरोध में पीएम का पुतला फूंका:शेखपुरा में जुलूस, नए लेबर कोड वापसी की मांग, वाम दल शामिल

शेखपुरा में वाम दलों ने न्यू श्रमिक कोड के खिलाफ प्रदर्शन किया। बुधवार को शहर में जुलूस निकाला गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका गया। यह प्रदर्शन राष्ट्रव्यापी आंदोलन का हिस्सा था। जिला किसान नेता ललित शर्मा और सीपीएम के जिला सचिव व मजदूर नेता बीरबल शर्मा के नेतृत्व में यह जुलूस शेखपुरा के सीपीआई कार्यालय, कार्यानंद शर्मा भवन से शुरू हुआ। प्रदर्शनकारियों ने नए लेबर कोड को वापस लेने की मांग की यह पटेल चौक, खांडपर और कटरा चौक से होते हुए चांदनी चौक स्थित बाबा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष समाप्त हुआ, जहां पुतला दहन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने नए लेबर कोड को वापस लेने और किसानों के हित में कानून लागू करने की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की। वाम दलों के नेताओं ने बताया कि यह विरोध केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की ओर से देशव्यापी स्तर पर किया जा रहा है। मोदी सरकार की ओर से पूंजीपतियों को दे रही सहूलियत मोदी सरकार की ओर से पूंजीपतियों के व्यवसाय में सहूलियत के नाम पर कोरोना काल में पारित चार लेबर कोड बिलों को लागू करने की अधिसूचना जारी की गई है, जिसके खिलाफ शेखपुरा सहित देश भर के सभी जिला मुख्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। नेताओं ने आरोप लगाया कि कोरोना महामारी को “आपदा में अवसर” में बदलने के आह्वान के तहत, विपक्ष रहित संसद से पहले कॉर्पोरेट-परस्त और किसान विरोधी बिल पारित किए गए थे। किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन के कारण उन्हें वापस लेना पड़ा था। इसी तरह, व्यवसाय में सहूलियत के नाम पर पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट घरानों को अधिकतम अधिकार देते हुए श्रमिकों को अधिकारविहीन बनाने के लिए चार श्रम कोड भी पारित किए गए थे। ये श्रम कोड देश के मजदूर वर्ग के लगातार विरोध के कारण लागू नहीं किए जा सके थे। हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम मिलने के बाद, सरकार ने देश के समस्त मजदूर वर्ग को मालिकों का गुलाम बनाने वाले इन श्रम कोडों को 21 नवंबर, 2025 से लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। इसी अधिसूचना के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। जबकि इन कानूनों के कारण मजदूरों की बढ़ने वाली मुसीबतों को देखते हुए पिछले 5 साल से देश के मजदूर-कर्मचारी विरोध में खड़े हैं। यदि बिल वापस नहीं हुआ और किसान के हितों को देखते हुए बिल लागू नहीं किया जाएगा तो इसके खिलाफ जोरदार आंदोलन खड़ा किया जाएगा ।


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