जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा के पास अग्रिम चौकी पर गोली लगने से शहीद हुए अग्निवीर जवान दीपक सिंह को सोमवार को अंतिम विदाई दी गई। चंपावत के पैतृक गांव पाटी के खरही गांव में चचेरे भाई सचिन ने उन्हें मुखाग्नि दी। सुबह सूबेदार दीपक के नेतृत्व में सैन्य दल पार्थिव शरीर लेकर गांव पहुंचा। जहां पर मां-पिता, भाई-बहनों, ग्रामीणों, सैन्य अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शहीद दीपक सिंह अमर रहे और भारत माता की जय के जयकारे लगे। अग्निवीर दीपक सिंह जम्मू-कश्मीर के पुंछ में संदिग्ध परिस्थितियों में 4 गोलियां लगने से शहीद हो गए। 23 साल के दीपक मूल रूप से चंपावत के खरही गांव के रहने वाले थे और 10 दिन पहले ही छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर लौटे थे। 2 साल पहले हुए थे भर्ती
दीपक सिंह पुत्र शिवराज सिंह दो वर्ष पूर्व ही अग्निवीर योजना के तहत भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें मेंढर तहसील स्थित अग्रिम पोस्ट पर तैनात किया गया था। शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे चौकी पर अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। साथी जवान मौके पर पहुंचे तो दीपक खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे। उन्हें तुरंत बटालियन के चिकित्सा शिविर में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर घटना की जांच के आदेश दिए और पुलिस को जानकारी दी। रेजिमेंट के अधिकारी परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त कर हर संभव सहायता देने का आश्वासन दे रहे हैं। अब अग्निवीर दीपक सिंह के बारे में जानिए… दीपक सिंह का पूरा परिवार खरही गांव में ही रहता है, घर में पिता शिवराज सिंह और तारा तारी देवी के अलावा दो बड़ी बहनें और एक छोटा भाई है। दीपक चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के थे। बचपन से ही दीपक को सेना में भर्ती होने का जुनून था, यही कारण भी था की पढ़ाई करते करते ही वह भर्ती की तैयारी भी करते रहते थे। ग्रामीण बताते हैं कि दीपक काफी शांत स्वभाव के थे और गांव में जब भी आते थे तो सभी से मिलते थे। हाल ही में छुट्टी आकर मेले में शामिल हुए
ग्रामीणों ने बताया कि दीपक हाल ही में छुट्टी लेकर गांव आए थे और स्थानीय खरही मेले में भी शामिल हुए थे। परिवार वाले उनकी शादी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अचानक आई इस खबर ने पूरे घर को सदमे में डाल दिया है। बेटे की मौत से मां तारा देवी सदमे में चली गई हैं। पिता शिवराज सिंह भी खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं। दीपक घर के चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर के थे। दो बड़ी बहनें और एक छोटा भाई है।
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