पटना में लंग्स कैंसर जागरूकता माह में नारायणा कैंसर हॉस्पिटल में एक सेमिनार हुआ, जिसमें फेफड़ों के कैंसर की बढ़ती गंभीरता और इसके नई तरीके से होने वाले इलाज पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में लोगों को धूम्रपान छोड़ने, नियमित जांच कराने और प्रदूषण से बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दी गई। नारायणा कैंसर सेंटर एवं पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अभिषेक आनंद ने कहा, ‘भारत में लंग्स कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। लास्ट स्टेज में इलाज मुश्किल हो जाता डॉ ने बताया कि चिंताजनक बात यह है कि 70% मरीज आखिरी चरण में अस्पताल पहुंचते हैं, जहां उपचार और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कहा कि लगातार खांसी, वजन घटना, सांस फूलना और खून के साथ खांसी जैसे लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। शुरुआती स्टेज में इलाज की सफलता दर 60-70% तक पहुंच जाती है’। उन्होंने बताया कि इम्युनोथैरेपी और टारगेटेड थेरेपी जैसी नई तकनीकों ने इलाज को और प्रभावी बनाया है। कार्यक्रम में शहर के कई वरिष्ठ डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और स्वास्थ्य संगठनों ने भाग लिया। फेफड़ों की सेहत को लेकर जागरूकता की ली शपथ सेमिनार का उद्देश्य लोगों को यह संदेश देना था कि लंग्स कैंसर समय पर पहचान लेने पर काफी हद तक नियंत्रित और इलाज योग्य है। सेमिनार के अंत में प्रतिभागियों ने फेफड़ों की सेहत को लेकर जागरूकता फैलाने की शपथ भी ली। डॉ.आनंद ने कहा कि धूम्रपान लंग्स कैंसर का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण और आनुवंशिक कारणों से नॉन-स्मोकिंग मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में लो-डोज सीटी स्कैन जैसे परीक्षण हाई-रिस्क व्यक्तियों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं।
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