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रोहिणी बोलीं-मायका बेटी का सुरक्षित घर, क्या राबड़ी आवास लौटेंगी:लालू-राबड़ी की प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने सिंगापुर से आईं तो कितना मिलेगा, तेजस्वी का क्या होगा

RJD सुप्रीमो लालू यादव को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने X पर पोस्ट कर बिहार लौटने का इशारा किया है। उनकी पोस्ट में जितना सामाजिक संदेश है, उतना ही राजनीतिक संदेश भी। उन्होंने पिता की राजनीतिक और आर्थिक विरासत पर अपनी दावेदारी पेश करना का पहला इशारा कर दिया है। क्या एक महीने पहले संजय यादव के कथित दुर्व्यवहार के बाद मायका छोड़ गईं रोहिणी वापस राबड़ी आवास आएंगी। वह लालू यादव की राजनीतिक विरासत पर दावा करेंगी। उनको लालू की संपत्ति में कितना हक मिल सकता है। जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाही में…। सवाल-1ः रोहिणी आचार्य का नया पोस्ट क्या है? जवाबः रोहिणी ने 11 दिसंबर की दोपहर X पर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने सरकार से बेटियों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। उनका ज्यों का त्यों पूरा पोस्ट पढ़िए… ‘लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिलें बांटना, भले ही नेक इरादे से किया गया हो, लेकिन ये भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा डालने वाले व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के मद्देनजर अपर्याप्त है। सरकार और समाज का यह प्रथम दायित्व होना चाहिए कि वह बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए, खासकर सामाजिक और पारिवारिक उदासीनता के मद्देनजर l बिहार में गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक मानसिकता सामाजिक और राजनीतिक, दोनों क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता पैदा करती है। प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार है कि उसका मायका एक ऐसा सुरक्षित स्थान है, जहां वह बिना किसी डर, अपराधबोध, शर्म या किसी को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना लौट सकती है। इस उपाय को लागू करना केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं है, बल्कि अनगिनत महिलाओं को भविष्य में होने वाले शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।’ चुनाव में हार के बाद रोहिणी ने छोड़ा था राबड़ी आवास सवाल-2ः रोहिणी के ताजा पोस्ट के मायने क्या हैं? जवाबः इसका सीधा मतलब है कि वह सिंगापुर से बिहार आना चाहती हैं। आने के साथ ही वह पिता लालू यादव की राजनीतिक और आर्थिक संपत्ति पर अपनी दावेदारी कर सकती हैं। वह इशारों-इशारों में भविष्य में होने वाले शोषण का आशंका जता रही हैं और सरकार से मदद की उम्मीद कर रही है। रोहिणी के पोस्ट की खास लाइनें पढ़िए…जिसमें गहरे संदेश हैं सवाल-3ः अगर रोहिणी पिता की संपत्ति पर हक जताएंगी तो क्या मिलेगा? जवाबः बिल्कुल मिल सकता है। रोहिणी आचार्य हिन्दू हैं। उनकी शादी भी हिंदू रीति रिवाज से हुई है। इसलिए उन पर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) लागू होगा। 1956 में बने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में 2005 में संशोधन किया गया। नए संशोधन के मुताबिक, शादी के बाद भी बेटी को पिता की संपत्ति में बराबर का हक है। वह चाहे तो संपत्ति ले सकती है। सवाल-4ः अगर रोहिणी आती हैं तो क्या लालू परिवार में टकराव बढ़ेगा? जवाबः यह परिस्थिति पर तय होगा। सीनियर जर्नलिस्ट संजय सिंह कहते हैं, ‘अगर रोहिणी माता-पिता की मर्जी से आएंगी तो कोई विवाद नहीं होगा। लेकिन अगर वह हक जताने के इरादे से आएंगी तो विवाद बढ़ सकता है।’ संजय सिंह कहते हैं, ‘उनके पोस्ट से नहीं लगता कि वह माता-पिता की मर्जी से आने वाली हैं। वह परिवार की उदासीनता की बातें कर रही हैं। रोहिणी संकेतों में बातें कर रही है, यानी अंदरखाने टकराव जारी है। यह झगड़ा तब ही रुक सकता है, जब लालू यादव खुद पहल करें और पूरी कमान अपने हाथ में ले, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।’ सवाल-5ः अगर लालू फैमिली में विवाद बढ़ा तो क्या तेजस्वी को नुकसान होगा? जवाबः बिल्कुल होगा। एक्सपर्ट मोटे तौर पर 2 तरह के नुकसान की संभावना जता रहे हैं। 1. तेजस्वी की इमेज खराब होगी पॉलिटिकल एनालिस्ट अभिरंजन कुमार कहते हैं, ‘रोहिणी के पूरे विवाद ने तेजस्वी यादव की इमेज को काफी नुकसान पहुंचाया है। अगर वह मैच्योर पॉलिटिशियन होते तो इस मामले को घर के अंदर सेटल कर लेते। लेकिन ऐसा नहीं कर पाए हैं। अब अगर और आगे बढ़ता है तो उनके इमेज को काफी नुकसान हो सकता है।’ 2. यादव वोट बैंक बिखर सकता है बिहार में यादव समाज की आबादी 14.26% है। लालू यादव के बाद तेजस्वी इस समाज के बड़े नेता हैं। वहीं, अब लालू परिवार बिखर रहा है। तेज प्रताप यादव खुद को लालू यादव का वारिस बता चुके हैं। रोहिणी इशारे-इशारे में राजनीतिक पूंजी में हिस्सेदारी की बातें कह रहीं हैं। विरोधी तेजस्वी पर लगातार घर नहीं संभाल पाने को लेकर आक्रामक हैं। अगर लालू परिवार के अंदर का विवाद आगे बढ़ा तो यादव वोटरों में नाराजगी बढ़ सकती है। तेज प्रताप ने अपनी पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत कर दी है। अगर तेज प्रताप आगे भी बागी बने रहे तो नुकसान तय है।


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