यूक्रेन में जारी संघर्ष को खत्म करने को लेकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय हलचल तेज हो गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उनकी ओर से पेश की गई 28 बिंदुओं वाली योजना अभी अंतिम नहीं है। बता दें कि इस योजना में यूक्रेन को कुछ क्षेत्र छोड़ने, सेना का आकार घटाने और नाटो में शामिल न होने की शर्तें शामिल हैं। मौजूद जानकारी के अनुसार ट्रंप का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी न किसी तरह इस युद्ध को समाप्त करना है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह यूक्रेन के लिए उनका आखिरी प्रस्ताव है, तो उन्होंने साफ कहा कि ऐसा नहीं है। ट्रंप का कहना है कि वह चाहते हैं कि यह संघर्ष जल्द खत्म हो और इसी दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि फरवरी 2022 से यह युद्ध लाखों लोगों को प्रभावित कर चुका है और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और स्थिरता पर इसका गंभीर असर पड़ा है।
उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इस योजना पर ठंडी प्रतिक्रिया दी है। ज़ेलेंस्की ने कहा है कि वह अपने प्रस्तावित विकल्पों को सामने रखेंगे और किसी भी समझौते के लिए यूक्रेन की सुरक्षा और संप्रभुता सबसे बड़ा आधार होगी। वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संकेत दिया है कि वह इस योजना के बिंदुओं पर बात करने को तैयार हैं, लेकिन अगर कीव ने इसे खारिज किया तो रूसी सेना अपना अभियान जारी रखेगी।
बता दें कि ट्रंप ने शुक्रवार को कहा था कि थैंक्सगिविंग के दिन यानी 27 नवंबर को इस समझौते के लिए एक उपयुक्त समय माना जा सकता है, हालांकि उन्होंने इसे लचीला भी बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ज़ेलेंस्की को यह पसंद न आए तो युद्ध आगे चलेगा और किसी न किसी समय उन्हें कोई न कोई फैसला करना ही पड़ेगा।
मौजूद जानकारी के अनुसार अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ रविवार को जिनेवा पहुंच रहे हैं, जहां इस मसौदे पर चर्चा होगी। यूरोपीय अधिकारियों के भी वहां शामिल होने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि आने वाले दिनों में इस पहल को लेकर बड़ी कूटनीतिक गतिविधि देखने को मिल सकती है और इसका असर युद्ध की दिशा पर पड़ सकता है, जिसे लेकर सभी पक्ष सतर्क नज़र बनाए हुए हैं।
इस पूरी स्थिति पर दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं और सभी उम्मीद कर रहे हैं कि किसी न किसी रास्ते से यह संघर्ष खत्म हो सके, क्योंकि इसका असर सिर्फ यूक्रेन या रूस पर नहीं बल्कि पूरे विश्व पर पड़ रहा है और इसी कारण बातचीत की हर कोशिश अहम मानी जा रही है।
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