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मौसम का असर:बच्चे वायरल फ्लू-निमोनिया से पीड़ित हो रहे, अस्पतालों में बढ़ी भीड़, विशेषज्ञ बोले-बचाव जरूरी

बदलते मौसम और खराब हवा की वजह से बच्चे वायरल फ्लू और निमोनिया से पीड़ित हो रहे हैं। अस्पतालों में भीड़ बढ़ गई है। पीएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष प्रो. भूपेंद्र नारायण ने बताया कि रोज 125-150 बच्चे ओपीडी पहुंच रहे हैं, जिनमें 8-10 प्रतिशत निमोनिया और 40-45 फ्लू से पीड़ित होते हैं। मौसमी फ्लू बार-बार वायरल स्ट्रेन बदलता है, जिससे ठीक होने के बाद भी दोबारा संक्रमण हो रहा है। आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि 100-125 बच्चे ओपीडी में आते हैं, जिनमें 30-35 फीसदी फ्लू के लक्षणों वाले होते हैं। उधर, सभी प्रमुख अस्पतालों में इस समय 8-10 प्रतिशत नवजात निमोनिया से पीड़ित पाए जा रहे हैं, जबकि भर्ती होनेवाले मरीजों में यह आंकड़ा 20-25 प्रतिशत है। आईजीआईएमएस प्रशासन के अनुसार, शिशु वार्ड के 30 बेड में से 8 पर निमोनिया के मरीज भर्ती हैं। मौसमी फ्लू और निमोनिया के लक्षण शुरुआती दिनों में समान दिखते हैं, इसलिए माता-पिता अक्सर भ्रमित हो जाते हैं। मौसमी फ्लू वायरस के कारण होता है। इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, छींक-खांसी, हल्का सिरदर्द, गले में दर्द, शरीर टूटना और कमजोरी है। यह आमतौर पर 5-7 दिनों में ठीक हो जाता है। वहीं, निमोनिया के प्रमुख लक्षणों में तेज सांस चलना, सीने में धंसना, तेज बुखार, दूध/खाना कम लेना, सुस्ती आदि शामिल है। समय पर इलाज न मिले तो खतरा बढ़ जाता है। क्या करें
बच्चे को गर्म रखें, लेकिन अधिक न लपेटें। बार-बार तरल पिलाएं (दूध/गुनगुना पानी)। कमरे में साफ हवा और वेंटिलेशन हाे। खांसी या सांस बढ़ने पर तत्काल डॉक्टर के पास जाएं क्या न करें
डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक या स्टेरॉयड न दें। देसी नुस्खों से इलाज की कोशिश न करें। बच्चे को भीड़, धूल-धुआं या ठंडी हवा में न ले जाएं


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