Premanand Maharaj: वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज ने बताया कि शुरुआत में जब उन्होंने संत बनने का फैसला लिया और घर छोड़कर चले आए तो तीन दिन बाद उनके पिताजी उन्हें खोजते हुए उनके पास पहुंचे. उन्हें घर वापस चलने के लिए कहने लगे. तब प्रेमानंद जी ने उन्हें बताया कि अब संन्यासी मार्ग और ईश्वर की भक्ति ही उनका घर है.
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