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मेरठ में व्यापारी बोले- आवास विकास ने उजाड़ दिया रोजगार:कहा- पहले अधिकारियों ने मिलीभगत से बनवाई दुकानें, अब न्यायालय ने कराई ध्वस्त

आज जो कॉम्पलेक्स आज ध्वस्त किया गया ,है उसमे अलंकार साड़ीज के नाम से उनका परिवार पिछले 20 साल से दुकान चला रहा है। पांच अन्य लोगों को हमने यहां रोजगार भी दिया था। अब हमने अपनी दुकान से सारा सामान भी नहीं निकाला है, हमारे सामान की पहचान हमारी दुकान से थी। अब हमारे पास हमारी दुकान ही नहीं बची है, तो हम सामान का ही क्या करेंगे। माननीय न्यायालय का आदेश हम मान रहे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों और सरकार को कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए था। अब हमारे पास कुछ नही बचा है हमारा सब कुछ दुकान के साथ ही ध्वस्त हो गया है। यह कहना है कि मीनू गुप्ता का है। जिनकी कॉम्पलेक्स में दुकान है। मेरठ के सेंट्रल मार्केट में अवैध कॉम्पलेक्स में बनी 22 दुकानों को आज माननीय न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई करते हुए उन्हें ध्वस्त कर दिया गया। इस दौरान उन दुकानों के मालिक रोते बिलखते हुए अपनी दुकानों से सामान निकालते और उन्हें टूटता हुए देखते नजर आए। इसके साथ ही न्यायालय के आदेश पर जहां उन्होंने सहमति जताई तो अपने जनप्रतिनिधियों और आवास विकास के अधिकारियों के प्रति नाराजगी जाहिर की। अधिकारियों की थी मिलीभगत
मौके पर मौजूद रचित ने ताया- मेरे दोस्त ने यहां 6 से 7 महीने पहले ही दुकान खोली है, अगर ऐसा विवाद था और भविष्य में ऐसी कार्रवाई होनी थी तो यहां रजिस्ट्री बंद क्यों नहीं कराई गई। दुकानें ध्वस्त होने के साथ साथ उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिनकी मिलीभगत से यहां अभी तक काम हो रहा था। अगर इतने लोगों की जीविका उस कॉम्पलेक्स के ध्वस्त होने से प्रभावित हो रही है तो सरकार को इसे कॉमर्शियल कर देना चाहिए। मकान बेचकर खरीदी थी दुकान
व्यापारी राकेश मदान ने बताया-1990 में किराये पर लेकर यहां क्रॉकरी की दुकान चलानी शुरू की थी,इसके बाद 2009 तक मेहनत करके जोड़ा हुआ कुछ पैसा और अपने मकान को बेचकर यह दुकान हमने खरीदी थी। उस समय अगर यह विवादित हुआ तो हमे जब ही क्यों नहीं बताया गया। अब अगर मेरी दुकान टुट गई तो मैं कहां जाऊंगा, मेरा एक मात्र कमाई का साधन यह दुकान है , इसके बिना कैसे मैं अपने बच्चों की पढ़ाई और अपना खर्च चला पाउंगा। हम जनप्रतिनिधियों के पास भी गए थे लेकिन उनका भी बस यह है कि हर त्योहार पर उनका स्वागत कर दो और चुनाव में उनको वोट दे दो इससे ज्यादा उनका कोई मतलब नहीं है। 35 साल बाद आज सब कुछ चला गया है , अब हमारे पास कुछ नहीं बचा है। आवास विकास की है गलती- विनोद हरित
ध्वस्तीकरण के समय मौके पर पहुंचे सिवाल खास के पूर्व विधायक विनोद हरित ने कहा कि जब यह कॉम्पलेक्स बनाया जा रहा था तभी इसपर रोक लगनी चाहिए थी । जो लोग लंबे समय से यहां व्यापार की रहे थे उनका जीवन आज प्रभावित हो गया है उनके पास इसके अलावा कोई आय का स्त्रोत नहीं है । शासन – प्रशासन के लोगों को इस मामले में मध्यस्ता करते हुए कोई बीच का रास्ता निकालकर व्यापारियों के लिए कुछ करना चाहिए था। जनप्रतिनिधियों के बच्चे भी आते थे खरीदारी करने
शालिनी गुप्ता ने बताया कि मैं पिछले 7- 8 साल से यहां रहती थी। आज इन दुकानों के टूटने की सूचना मिली तो बहुत आहत हुई हूं। शहर के जनप्रतिनिधियों को इन व्यापारियों के लिए खड़ा होना चाहिए था क्योंकि उनके बच्चे और परिवार भी यहां शापिंग करने आते थे। ऐसे में न सिर्फ इनके रोजगार छिने है साथ ही जो लोग इनसे जुड़े हैं उनके परिवार की आजीविका पर भी संकट आया है।


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