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मुंबई हाईकोर्ट ने BrahMos इंजीनियर की उम्रकैद रद्द की, कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई खिलवाड़ नहीं, लापरवाही पर सजा बरकरार

निशांत अग्रवाल को पहली बार गिरफ्तार किए जाने और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (OSA) के तहत मामला दर्ज किए जाने के सात साल से ज़्यादा समय बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने सोमवार को पूर्व ब्रह्मोस एयरोस्पेस साइंटिस्ट को दी गई उम्रकैद की सज़ा रद्द कर दी। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने जासूसी मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंजीनियर निशांत अग्रवाल को दी गई उम्रकैद की सजा को यह कहते हुए रद्द कर दिया है कि उसने राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम नहीं किया।हालांकि, अदालत ने लापरवाही के लिए अग्रवाल की दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

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पिछले साल जून में यहां की एक सत्र अदालत ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व इंजीनियर निशांत प्रदीप कुमार अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अग्रवाल को 2018 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

उच्च न्यायालय ने अग्रवाल की दोषसिद्धि को आंशिक रूप से पलटते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने ऐसा कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया, जिससे पता चले कि अग्रवाल ने ‘‘भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संरक्षा’’ को खतरा पहुंचाने या समाज में आतंक फैलाने के लिए कुछ किया है।

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न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति प्रवीण पाटिल की खंडपीठ ने सोमवार को अग्रवाल को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और सरकारी गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) के तहत प्रमुख आरोपों से मुक्त कर दिया और उसकी आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया।
हालांकि, खंडपीठ ने ओएसए की धारा पांच(1)(डी) के तहत अग्रवाल की दोषसिद्धि और तीन साल की जेल की सजा को बरकरार रखा, जो ‘‘लापरवाही और अपने पास मौजूद संवेदनशील जानकारी की पर्याप्त देखभाल करने में विफलता’’ के लिए दी गई।

News Source- PTI Information 


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