केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय अभियान, नई चेतना 4.0 का शुभारंभ किया। मुख्य भाषण देते हुए, शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री के इस संकल्प की पुष्टि की कि कोई भी बहन गरीबी में न रहे, कोई भी महिला आँखों में आँसू लिए न रहे और हर बहन लखपति दीदी के रूप में सम्मान, आत्मविश्वास और समृद्धि प्राप्त करे। उन्होंने बताया कि दो करोड़ से ज़्यादा स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ अब तक लखपति दीदी बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण को मज़बूत करके और देश भर में ग्रामीण महिलाओं के लिए अवसरों का विस्तार करके इस दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में निरंतर काम कर रही है।
विज्ञप्ति के अनुसार, इस कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान उपस्थित थे। इस अवसर पर ग्यारह सहयोगी मंत्रालयों/विभागों, अर्थात् महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, गृह मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, और न्याय विभाग, द्वारा हस्ताक्षरित एक अंतर-मंत्रालयी संयुक्त परामर्शी का भी अनावरण किया गया। यह परामर्शी “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण की भावना को मूर्त रूप देती है, जो लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा को समाप्त करने के लिए प्रत्येक सहयोगी मंत्रालय/विभाग की शक्ति का लाभ उठाती है।
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अन्नपूर्णा देवी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच अंतर-मंत्रालयी त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन-आशय पत्र, हिंसा मुक्त ग्राम पहल के अंतर्गत आदर्श ग्रामों के विकास को आगे बढ़ाएगा, जिससे ग्रामीण भारत में लड़कियों और महिलाओं के लिए सुरक्षा, अधिकार और सशक्तीकरण के अवसर सुनिश्चित होंगे।
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) द्वारा आयोजित यह महीने भर चलने वाला अभियान 23 दिसंबर 2025 तक सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलेगा। डीएवाई-एनआरएलएम के व्यापक स्वयं सहायता समूह नेटवर्क के नेतृत्व में यह पहल एक जन आंदोलन की भावना का प्रतीक है।
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डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संगठित 10 करोड़ ग्रामीण महिलाओं की सामूहिक शक्ति ने “नई चेतना” को एक मज़बूत ज़मीनी आंदोलन में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल महिलाओं को समय पर सहायता प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाता है, बल्कि उन्हें अपनी बात कहने और लंबे समय से दबे हुए मुद्दों को सामने लाने के लिए भी प्रेरित करता है, जिससे हिंसा-मुक्त और लैंगिक समानता वाले ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में समुदाय-नेतृत्व वाले प्रयासों को बल मिलता है। कमलेश पासवान ने लैंगिक असमानता को दूर करने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक शक्तिशाली साधन है जो व्यक्तियों और समुदायों को लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को तोड़ने में सक्षम बनाती है। बिहार और राजस्थान के दो जेंडर चैंपियनों ने भेदभाव पर काबू पाने और अपने समुदायों में बदलाव लाने के अपने सफ़र को साझा किया।
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