भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ही राज्य भर की नगरपालिका परिषदों और नगर पंचायतों में सत्तारूढ़ दल के 100 पार्षदों के निर्विरोध चुने जाने का दावा किया है।
चह्वाण ने बताया कि तीन उम्मीदवार नगरपालिका परिषदों के अध्यक्ष पद पर निर्विरोध चुने गए हैं।
चव्हाण ने शुक्रवार को नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख को कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में वास्तविक मतदान से पहले ही 100 से अधिक भाजपा पार्षद निर्विरोध निर्वाचित हुये हैं।’’
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इन 100 पार्षदों में से चार तटीय कोंकण क्षेत्र से, 49 उत्तरी महाराष्ट्र से, 41 पश्चिमी महाराष्ट्र से और तीन-तीन मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्रों से हैं।
राज्य के 246 नगरपालिका परिषदों और 42 नगर पंचायतों के लिए चुनाव दोदिसंबर को होने हैं और मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी।
हालांकि, चुनावी मुकाबले से पहले का दौर कुछ भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों की बिन मुकाबला हुई जीतों से प्रभावित रहा। इसका एक आम तरीका यह दिखा कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मैदान से हटते गए।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि भाजपा की वंशवादी राजनीति की परंपरा अब जमीनी स्तर के चुनावों तक पहुंच गई है और नेताओं के रिश्तेदारों की निर्विरोध जीत सुनिश्चित करने के लिए पुलिस तंत्र पर दबाव डाला गया।
जामनेर में जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन की पत्नी साधना महाजन, कांग्रेस उम्मीदवार रूपाली लालवानी और दो राकांपा उम्मीदवारों के चुनाव से हटने के बाद नगरपालिका परिषद अध्यक्ष के पद पर निर्विरोध चुनी गईं।
विपणन मंत्री जयकुमार रावल की मां नयन कुंवर रावल, धुले जिले में दोंडाइचा-वरवडे नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष चुनी गईं क्योंकि विपक्षी उम्मीदवार शरयू भावसार का नामांकन खारिज कर दिया गया था।
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भावसार ने आरोप लगाया कि मंत्री के दबाव में नामांकन खारिज किया गया।
एक और प्रमुख निर्विरोध जीत चिखलदरा नगरपालिका परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के चचेरे भाई अल्हड कलोटी की है।
अमरावती जिले से कांग्रेस नेता यशोमति ठाकुर ने प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों को नाम वापस लेने के लिए धमकाने और प्रलोभन देने का आरोप लगाया था।
श्रम मंत्री आकाश फुंडकर, कपड़ा मंत्री संजय सावकारे, मंत्री अशोक उइके, पूर्व सांसद रामदास तड़स, विधायक मंगेश चव्हाण और विधायक प्रकाश भारसाकले सहित कई मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के रिश्तेदार या तो चुनाव मैदान में हैं या स्थानीय नगर निकायों के पदों के लिए निर्विरोध चुने जा चुके हैं।
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