अरबपति बिजनेसमैन इलॉन मस्क की लीडरशिप में बना अमेरिकी सरकार का DoGE डिपार्टमेंट तय समय से 8 महीने पहले बंद कर दिया है। इसकी शुरुआत 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकारी आदेश से हुई थी। इसे 4 जुलाई 2026 तक काम करना था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस डिपार्टमेंट ने 2.5 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को या तो सीधे नौकरी से हटाया गया, या उन्हें बॉयआउट और अर्ली रिटायरमेंट पैकेज देकर बाहर किया था। रॉयटर्स के मुताबिक, पहले यह डिपार्टमेंट काफी एक्टिव था, लेकिन अब इसके टॉप अधिकारी अलग-अलग सरकारी ऑफिस में काम कर रहे हैं। इसका मकसद सरकार को छोटा, तेज और कम खर्चीला बनाना था। मस्क ने 1 ट्रिलियन डॉलर बचत का वादा किया था DoGE डिपार्टमेंट ट्रम्प के ‘प्रोजेक्ट 2025’ का हिस्सा था। शुरुआत में इलॉन मस्क और विवेक रामास्वामी को इसका हेड बनाया गया था, लेकिन रामास्वामी डिपार्टमेंट शुरू होने से पहले इससे अलग हो गए थे। पॉलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, मस्क ने रामास्वामी को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मस्क ने 1 ट्रिलियन डॉलर (86 लाख करोड़ रुपए) की बचत का वादा किया था। हालांकि DOGE की वेबसाइट के ही मुताबिक इसने 214 अरब डॉलर की बचत की, लेकिन एक Politico जांच में पाया गया कि ये आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए हैं। मस्क ने इस डिपार्टमेंट को ‘नौकरशाही के लिए चेनसॉ’ करार दिया था, वादा किया था कि यह सरकारी खर्चों में भारी कटौती करेगा। शुरुआती दिनों में DOGE ने तेजी से कदम उठाए। हालांकि मई 2025 में मस्क ने खुद DOGE छोड़ दिया था।
न्यूक्लियर डिपार्टमेंट में छंटनी से बड़े विवाद में पड़ा DoGE DoGE की सबसे आलोचना तब हुई जब नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (NNSA) में 350 लोगों की नौकरी खत्म करने के आदेश दिए थे। यह फैसला इतना विवादित था कि एनर्जी डिपार्टमेंट को कुछ ही हफ्ते में पीछे हटना पड़ा और लगभग 322 कर्मचारियों को वापस बुलाना पड़ा। इस कदम ने DoGE की पॉलिसी कई बड़े सवाल खड़े कर दिए थे। एथिक्स वॉचडॉग्स और पब्लिक इंटरेस्ट ग्रुप्स ने DOGE को लेकर ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया था।
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