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मधेपुरा में तापमान में गिरावट के साथ बढ़ेगी ठंड:न्यूनतम तापमान 13-14°C, गेहूं बुआई का सही समय

मधेपुरा में अगले तीन दिनों तक मौसम शुष्क रहने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक इस अवधि में आसमान साफ रहेगा और अधिकतम तापमान 28-29 डिग्री सेल्सियस, जबकि न्यूनतम तापमान 13-14 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। तापमान में लगातार गिरावट से ठंड और बढ़ेगी। हवा की गति पश्चिम दिशा से 5 से 6 किमी प्रतिघंटा रहने का अनुमान है। साफ आसमान, रात के तापमान में और गिरावट मौसम वैज्ञानिक देवन कुमार चौधरी ने बताया कि साफ आसमान और हल्की हवा के कारण रात के तापमान में गिरावट जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए यह समय रबी फसलों की बुआई के लिहाज से बेहद उपयुक्त है। गेहूं, सरसों और आलू की बुआई का सही समय उन्होंने किसानों को सलाह दी कि इस मौसम में खेत तैयार कर गेहूं, सरसों, आलू सहित रबी फसलों की समय पर बुआई पूरी करें।बुआई से पहले मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए पाटा चलाने और बीज की अंकुरण क्षमता जांचने की सलाह दी गई है।बीज उपचार के लिए प्रति किलो बीज 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम का प्रयोग लाभदायक होगा। सरसों बुआई के लिए सप्ताह अनुकूल तापमान को देखते हुए सरसों की बुआई के लिए यह सप्ताह उपयुक्त बताया गया है।मिट्टी में सल्फर की कमी होने पर अंतिम जुताई के समय 20 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाने की सलाह दी गई है। आलू की बुआई जारी, कंद उपचार जरूरी आलू की बुआई के लिए भी मौसम अनुकूल है। किसान कुफरी अशोका, पुखराज, अरुण समेत अन्य लोकप्रिय किस्मों की बुआई कर सकते हैं।कंदों को कार्बेन्डाजिम + मैंकोजेब (2 ग्राम प्रति लीटर) के घोल में उपचारित कर 24 घंटे के भीतर रोपित करने से बेहतर परिणाम मिलेंगे। टमाटर की नर्सरी और कीट प्रबंधन सब्ज़ी उत्पादक किसानों के लिए सलाह है कि टमाटर की नर्सरी लगाएं और तैयार पौध की रोपाई करें।सामान्य किस्म के लिए 400-500 ग्राम और संकर बीज के लिए 150-200 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है।फल या पत्ती छेदक कीट के प्रकोप पर नीम तेल 1.5 मिली प्रति लीटर पानी के घोल का 8-10 दिन के अंतराल पर छिड़काव कारगर रहेगा। पशुओं को ठंड से बचाने की जरूरत तापमान में गिरावट के साथ पशुपालकों को पशुओं की देखभाल पर ध्यान देना जरूरी है।विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि पशुशाला को साफ-सुथरा रखें, फर्श को गीला न होने दें और पशुओं को दिन में कई बार ताजा पानी पिलाएं।धूप निकलने पर ही पशुओं को बाहर छोड़ें और शाम होते ही वापस अंदर बांध दें ताकि वे ठंड से सुरक्षित रह सकें।


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