भास्कर न्यूज | चानन प्राकृतिक आपदा झेल चुके किसानों को मजदूरों की कमी से धान कटनी में समस्या होने लगी है।मजदूरों के अभाव में खेतों में तैयार धान की फसलों को घर तक लाने के लिए मजदूरों की समस्या से रूबरू होना पड़ रहा है। प्रखंड में किसानों के आय का मुख्य स्रोत धान और गेहूं ही है। जिसके बूते किसानों को सालों भर भोजन के साथ अन्य घरेलू कार्य यथा शादी विवाह , बच्चों की पढ़ाई, गृह निर्माण, रोग बीमारी का इलाज आदि करना पड़ता है। जिस कारण किसान अपने अधिकाधिक खेतों में धान एवं गेहूं की फसल लगाते हैं। जिसे प्रकृति का आपदा झेलना पड़ता है। इस वर्ष भी प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे किसानों के खेतों में खड़ी खरीफ फसलों को चतरा, रस चूसक, ब्लास्ट जैसी बिमारियों से फ़सल खराब हो गई। जबकि आपदाओं की मार झेलने के उपरांत शेष बचे धान की फसल पक कर तैयार हो चुका है। लेकिन मजदूरों के ईट भट्ठा सहित अन्य स्थानों पर पलायन के कारण किसानों के समक्ष अपने तैयार फसल को घर लाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। बता दें कि प्रखंड क्षेत्र में मजदूरों की अच्छी खासी आबादी है। परंतु नगदी आमदनी के चक्कर में 90 फीसदी युवा, महिला, पुरुष मजदूर कमाई के लिए दूसरे प्रदेशों के ईट भट्टों आदि पर पलायन को मजबूर होते हैं। मजदूरों के पलायन के कारण अधिकांश घरों में ताला लटका हुआ है। मोहल्ले में बीमार व लाचार महिला पुरुष मजदूर ही नजर आते हैं।मजदूरों के अभाव के कारण खेतों में तैयार फसल को देखकर चिंतित किसान क्षेत्र में एकहार्वेस्टर मशीन नही है। खुद फसल काटने में लगे हैं किसान मजदूरों के अभाव व हार्वेस्टर मशीन न मिलने के कारण कुछ छोटे किसान तो अपने परिवार सहित फसल काटने खेतों में उतर आए हैं, लेकिन बड़े किसान क्या करें, जिन्हें हार्वेस्टर मशीन भी नहीं मिल रही है और खेत में अपनी फसल भी नहीं काट सके। ऐसी स्थिति में बड़े किसान ज्यादा चितिंत नजर आ रहे हैं। खेत में फसलें पककर तैयार हैं और शीघ्र ही दस दिनों के अंदर किसानों के लिए फसल काटने की व्यवस्था नहीं हुई तो किसानों की फसलें खेतों में ही खराब हो जाएगी। अभी आसपास क्षेत्र में मजदूरों एवं हार्वेस्टर मशीन का अभाव देखा जा रहा है। जिनकी निगाहें खेतों में तैयार फसलों पर टिकी हुई हैं।
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