रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज शाम कड़ी सुरक्षा के बीच दो दिवसीय भारत यात्रा पर पहुँचे। चार वर्षों बाद भारत आये रूसी राष्ट्रपति का विशेष विमान जैसे ही हवाई अड्डे पर उतरा वैसे ही यह देखकर पुतिन चौंक गये कि वहां अपने दोस्त का स्वागत करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद थे। दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी भरा आलिंगन इस बात का संकेत था कि वैश्विक राजनीति की तमाम जटिलताओं के बावजूद दिल्ली और मॉस्को के बीच व्यक्तिगत और रणनीतिक भरोसा कायम है।
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हम आपको बता दें कि पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब वैश्विक व्यवस्था तेज़ी से बदल रही है, रूस–यूक्रेन संघर्ष अपने महत्वपूर्ण मोड़ पर है और भारत–अमेरिका संबंध नए तनावों से गुजर रहे हैं। ऐसे माहौल में पुतिन का दिल्ली पहुँचना न केवल कूटनीतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच दशकों पुराने ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ के नए अध्याय की शुरुआत का संकेत भी देता है।
हम आपको यह भी बता दें कि रूसी राष्ट्रपति के आगमन से पहले ही राष्ट्रीय राजधानी को अभूतपूर्व सुरक्षा घेरों में बदल दिया गया। दिल्ली पुलिस, केंद्रीय एजेंसियों और पुतिन की निजी सुरक्षा टीम ने मिलकर एक बहु-स्तरीय सुरक्षा कवच तैयार किया है। संवेदनशील मार्गों पर स्नाइपर्स, स्वैट टीमें, आतंकवाद रोधी इकाइयाँ और त्वरित प्रतिक्रिया दल तैनात किए गए हैं। 5,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, जबकि ड्रोन-रोधी प्रणाली और उन्नत तकनीकी निगरानी तंत्र भी सक्रिय कर दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि “मिनट-टू-मिनट कोऑर्डिनेशन” के साथ पूरी यात्रा पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है।
हम आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति के लिए एक निजी रात्रिभोज का आयोजन किया है। यह वही परंपरा है जिसकी झलक पिछले वर्ष तब भी दिखी थी जब रूस यात्रा में पुतिन ने मोदी को निजी भोज पर आमंत्रित किया था। यह ‘डिनर डिप्लोमेसी’ केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि दोनों नेताओं के व्यक्तिगत समीकरण की गहराई को दर्शाती है। इस अनौपचारिक बैठक में ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार विस्तार, रक्षा सहयोग और नए उभरते क्षेत्रों— जैसे स्पेस टेक्नोलॉजी, लॉजिस्टिक्स, न्यूक्लियर मॉड्यूलर रिएक्टर और कौशल एवं श्रमिक गतिशीलता आदि पर व्यापक विमर्श होने की संभावना है।
रूसी राष्ट्रपति के कल के कार्यक्रम को देखें तो पुतिन का मुख्य कार्यक्रम शुक्रवार को ही है। वह सुबह राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे, यह परंपरागत कदम हर प्रमुख विदेशी नेता की भारत यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसके बाद राष्ट्रपति भवन में रूसी राष्ट्रपति का औपचारिक स्वागत किया जाएगा। पुतिन की भारत यात्रा का सबसे अहम पड़ाव हैदराबाद हाउस में होने वाली 23वीं भारत–रूस शिखर वार्ता है, जहाँ दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों की पूरी रूपरेखा पर चर्चा करेंगे। व्यापार एवं आर्थिक सहयोग का विस्तार, रूसी कच्चे तेल से जुड़े व्यापारगत असंतुलन, अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव और वैकल्पिक भुगतान एवं व्यापार मार्गों पर भी विशेष रूप से बातचीत होने की संभावना है।
हम आपको बता दें कि दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं— जिनमें श्रमिक गतिशीलता को सरल बनाने, रक्षा सहयोग के ढांचे को मजबूत करने और 2030 तक आर्थिक साझेदारी के लिए विस्तृत रोडमैप शामिल हैं।
इसके अलावा, हैदराबाद हाउस में कार्यकारी दोपहर भोज के बाद पुतिन भारत–रूस बिज़नेस फोरम को संबोधित करेंगे। दोनों पक्षों को उम्मीद है कि औद्योगिक सहयोग, उभरती तकनीकों, स्वास्थ्य, माइनिंग, खाद्य प्रसंस्करण और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के निवेश और साझेदारी को नई गति मिलेगी। शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में पुतिन के सम्मान में एक भव्य राजकीय भोज देंगी, जिसके बाद शुक्रवार रात लगभग साढ़े नौ बजे पुतिन भारत से प्रस्थान करेंगे। लगभग 28 घंटे की इस यात्रा के दौरान वह रूस के सरकारी प्रसारक RT के भारतीय चैनल के लॉन्च में भी शिरकत करेंगे, जो मॉस्को की सांस्कृतिक एवं मीडिया पहुंच बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है।
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देखा जाये तो यह यात्रा स्पष्ट करती है कि मौजूदा वैश्विक तनावों और बदलते समीकरणों के बावजूद भारत और रूस अपने संबंधों को समय के साथ ढालते हुए आगे बढ़ा रहे हैं। जहाँ एक ओर भारत रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद जारी रखकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर वह संतुलित कूटनीति के जरिए वैश्विक मंच पर संवाद को बढ़ावा देने की भूमिका निभा रहा है। पुतिन और मोदी की यह मुलाकात केवल द्विपक्षीय वार्ता नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति की दिशा और एशिया–यूरेशिया क्षेत्र में स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कड़ी सुरक्षा, गर्मजोशी भरे स्वागत और गहन रणनीतिक वार्ताओं के बीच राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा भारत–रूस साझेदारी में नई ऊर्जा भरने वाली साबित हो सकती है।
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