राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि हिंदुओ को एकजुट होकर देश को आगे ले जाना होगा। इसके लिए वैसा ही आचरण करना होगा। हम जहां रहते है वो हिंदू घर की तरह सजा होना चाहिए। हमें यह तय करना होगा कि घर की दीवारों पर स्वामी विवेकानंद की तस्वीर हो या माइकल जैक्सन की। भागवत ने ये बातें अंडमान के श्रीविजय पुरम में स्थित नेताजी स्टेडियम में विराट हिंदू सम्मेलन समिति द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि हिंदू एकता के लिए एकरूपता को जरूरी नहीं मानता। बाकी दुनिया इसके उलट सोचती है। अगर हिंदू जागेंगे तो दुनिया जागेगी। दुनिया मानती है कि भारत ही रास्ता दिखाएगा। समस्याओं पर समय बर्बाद करने के बजाय हमें समाधान खोजने चाहिए। किसी भी काम को पूरा करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है और शक्ति केवल एकता से आती है। भागवत की स्पीच, 3 बड़ी बातें… भागवत का तीन दिन का अंडमान दौरा पूरा
आरएसएस सरसंघचालक के रूप में भागवत का केंद्र शासित प्रदेश का यह पहला दौरा था। लगभग दो दशक पहले, वह संगठन के सरकार्यवाह (महामंत्री) के रूप में द्वीप समूह का दौरा कर चुके थे। वह तीन दिन के लिए यहां पहुंचे थे। यह दौरा 11-13 दिसंबर तक का था। पिछले 2 दिन के कार्यक्रम 12 दिंसबर: भागवत बोले-भारत के लिए जीने का समय, मरने का नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि देश को हर चीज से ऊपर रखना चाहिए। यह भारत के लिए जीने का समय है, मरने का नहीं। हमारे देश में हमारे अपने देश की ही भक्ति होनी चाहिए। यहां ‘तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े होंगे’ जैसी भाषा नहीं चलेगी। भागवत, अंडमान में दामोदर सावरकर के गीत ‘सागर प्राण तलमाला’ की 115वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित समारोह में पहुंचे थे। 11 दिसंबर: अंडमान पहुंचे, RSS पदाधिकारियों के साथ बैठक की
मोहन भागवत 11 दिसंबर को अंडमान पहुंचे थे। यहां उन्होंने स्थानीय आरएसएस पदाधिकारियों से मुलाकात की। भागवत ने अंडमान के श्री विजय पुरम में बैठक की। केंद्र सरकार ने 13 सिंतबर 2024 को अंडमान की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम रखा था। इसका मकसद था कि पुराने नाम पोर्ट ब्लेयर में अंग्रेजों के औपनिवेशिक नाम का प्रभाव था। तो उसे बदलकर एक ऐसा नाम रखा गया जो स्वतंत्रता संग्राम में विजय और भारत की आजादी के संघर्ष को दर्शाए। ——————– ये खबर भी पढ़ें… मोहन भागवत बोले- पहले लोग संघ के काम पर हंसते थे: आज डंका बज रहा है मोहन भागवत ने कहा- पहले लोग संघ के काम पर हंसते थे। डॉ. हेडगेवार पर भी हंसते थे, कहते थे नाक साफ नहीं कर सकते। ऐसे बच्चों को लेकर यह राष्ट्र निर्माण करने चले हैं। इस तरह का उपहास होता था। विचार भी अमान्य था। लोग कहते थे हिंदू संगठन मेंढक तोलने जैसी बात है, हो नहीं सकता है। हिंदू को काहे जगा रहे हो, मृत जाति है। पूरी खबर पढ़ें…
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