बोधगया में शुरू हुए 20 वें अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चैटिंग समारोह को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष संदेश जारी किया है। पीएम ने इसे विश्व बौद्ध समुदाय के लिए ऐतिहासिक अवसर बताया। साथ ही यह जानकर गर्व व्यक्त किया कि लगातार दो साल 20वें और 21वें संस्करण के लिए भारत को प्राथमिक मेजबान देश चुना गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी संदेश में उन्होंने कहा कि बोधगया में त्रिपिटक जप का आयोजन भारत की आध्यात्मिक विरासत को और मजबूत करता है। बता दें कि यह समारोह अगले 9 दिनों तक लगातार चलेगा और आने वाले 9 दिनों में कई वीआईपी और लाखों की संख्या में विभिन्न देशों से बौद्ध श्रद्धालु बोधगया आएंगे। यह समारोह हर साल मनाया जाता है। उन्होंने अपने संदेश पत्र में बताया कि भगवान बुद्ध की करुणा, सेवा और सद्भाव की शिक्षाएं व्यक्ति और राष्ट्र के बीच सेतु का काम करती हैं। भारत हृदय से उन सभी मेहमानों का स्वागत करता है, जो दुनिया भर से बोधगया पहुंच रहे हैं। पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया मोदी ने अपने हालिया थाईलैंड दौरे का भी उल्लेख किया। कहा कि उन्हें वहां त्रिपिटक का मूल पाली भाषा में तैयार ध्वन्यात्मक संस्करण हासिल करने का सौभाग्य मिला। साथ ही याद दिलाया कि उनकी सरकार ने पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है ताकि भगवान बुद्ध की वाणी जिस भाषा में दर्ज है, उसका संरक्षण आने वाली पीढ़ियों तक सुनिश्चित हो सके। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार पाली भाषा के अध्ययन, रिसर्च और प्रचार-प्रसार को नई गति देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह वैश्विक समारोह न केवल बौद्ध परंपराओं को सशक्त करता है, बल्कि दुनिया को शांति, करुणा और सकारात्मकता का संदेश भी देता है। दो दशकों से लगातार आयोजित हो रहे इस अंतरराष्ट्रीय समारोह में हर साल हजारों भिक्षु, विद्वान, शोधकर्ता और अनुयायी शामिल होते हैं। त्रिपिटक के सामूहिक पाठ की यह परंपरा विश्व शांति और मानवीय एकता की भावना को और मजबूत करती है। अंत में प्रधानमंत्री ने सभी प्रतिभागियों व आयोजकों के लिए भगवान बुद्ध की कृपा की कामना की और संदेश पत्र का समापन इन शब्दों के साथ किया—“भगवान बुद्ध की जय! नमो बुद्धाय! जय हिंद!”
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