पश्चिम चंपारण में बेतिया के कुमारबाग स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) में बुधवार को “अध्यापक शिक्षा की वर्तमान प्रासंगिकता” विषय पर तीन-दिवसीय नेशनल सेमिनार का शुभारंभ हुआ। इसका उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) मुकेश कुमार और प्रो. (डॉ.) रश्मि श्रीवास्तव (महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी) ने संस्थान के प्राचार्य और व्याख्याताओं के साथ मिलकर दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सेमिनार के पहले दिन मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) मुकेश कुमार ने अपने संबोधन में शिक्षा में समयानुकूल परिवर्तन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शिक्षा व्यवस्था के निचले स्तर पर बदलाव को महत्वपूर्ण बताया, जिसमें शिक्षक की भूमिका केंद्रीय है। उन्होंने अध्यापक शिक्षा की वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की आवश्यकताओं पर विस्तार से चर्चा की। 21वीं सदी के संदर्भ में उसके प्रभावों पर प्रकाश डाला इसके बाद मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) रश्मि श्रीवास्तव ने शिक्षा के मूल उद्देश्य को समाज बदलना बताया। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 की महत्ता और 21वीं सदी के संदर्भ में उसके प्रभावों पर प्रकाश डाला। प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि एक अच्छा शिक्षक ही भारत का भाग्य विधाता होता है, जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाशित करता है। डायट डुमरा, सीतामढ़ी के व्याख्याता डॉ. कुंदन निशाकर ने ऐसे आयोजनों को नई सोच और ऊर्जा का स्रोत बताया, जो शिक्षण-प्रशिक्षण को बेहतर बनाते हैं। स्वागत गीत प्रस्तुत किया सेमिनार का मंच संचालन व्याख्याता त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम की रूपरेखा वरीय व्याख्याता डॉ. मनोज गुप्ता ने प्रस्तुत की, जबकि प्राचार्या मधु कुमारी ने स्वागत भाषण देते हुए सेमिनार के उद्देश्य पर चर्चा की। संस्थान के प्रशिक्षुओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया और दिन के अंतिम सत्र का धन्यवाद ज्ञापन व्याख्याता डॉ. उमेश कुमार महतो ने किया। इस सेमिनार में विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों, लैब स्कूल के शिक्षकों, संस्थान के व्याख्याताओं (डॉ. महफूज अख्तर, कमलेन्द्र प्रसाद, हीरा चौधरी, डॉ. संजय कुमार गुप्ता, नंदकिशोर प्रसाद, ओमप्रकाश सहित), सभी शिक्षक-प्रशिक्षुओं और संस्थान के कर्मियों ने भाग लिया।
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