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बेगूसराय में किसानों के लिए एडवाइजरी जारी:गेंहूू लगाने का है बेहतर समय, इसी महीने मक्का की बुआई की सलाह

मौसम के मद्देनजर कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। किसानों से गेंहूं की बुआई शुरू करने की अपील की गई है। 26 नवंबर तक के मौसम पूर्वानुमान में बेगूसराय सहित उत्तर बिहार के जिलों में आसमान साफ और मौसम के शुष्क रहने की संभावना है। इस दौरान अधिकतम तापमान 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच व न्यूनतम तापमान 15 से 17 डिग्री सेल्सियस के आसपास रह सकता है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 85 प्रतिशत और दोपहर में 65 से 70 प्रतिशत रहने की संभावना है। औसतन 5 से 8 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पछिया हवा चलने की भी संभावना जताई गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान डॉ. रामपाल ने बताया कि गेहूं की बुआई के लिए तापमान व अन्य मौसमी परिस्थितियों अनुकूल है। खेत की तैयारी के समय 150 से 200 क्विंटल कम्पोस्ट, 60 किलो नेत्रजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें। बुआई के लिए एचडी-2967, एचजी-2733, एचडी-2824, डीडब्लू-187, डीडब्लू-30, एचयूडब्लू-468, सीबीडब्लू-38 उत्तर बिहार के लिए अनुशंसित किस्म है। प्रति किलो बीज को उपचारित करें बीज को बुआई से पहले बेबीस्टीन 25 ग्राम की दर से प्रति किलो बीज को उपचारित करें। दीमक से बचाव के लिए क्लोरपायरिफॉस 20 ईसी दवा का 8 मिली प्रति किलो बीज की दर से जरूर उपचारित करें। छिटकों विधि से बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 125 किलो और सीड ड्रील से पंक्ति में बुआई के लिए 100 किलो बीज उपयोग करें। रबी मक्का की बुआई इस माह के अंत तक खत्म करें। इसके लिए संकर किस्में शक्तिमान सफेद, शक्तिमान-2 सफेद, शक्तिमान-3 पीला, शक्तिमान पीला, शक्तिमान-8 पीला, गंगा-11 नारंगी पीला, राजेन्द्र संकर मक्का-1, राजेन्द्र संकर मक्का-2 और राजेन्द्र संकर मक्का दीप ज्याला और संकुल किस्म में देवकी सफेद, लक्ष्मी सफेद व सुआन पीला इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित है। खेत की जुताई में 100 से 150 क्विंटल कम्पोस्ट, 60 किलो नेत्रजन, 75 किलो फॉस्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। बीज दर 20 किलो प्रति हेक्टेयर व दूरी 60 बार 20 सेंटीमीटर रखें। अगात बोयी गई मक्का की फसल में आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें। मटर, राजमा, बैगन, टमाटर, मिर्च पत्तागोभी व फूलगोभी में निकाई-गुड़ाई और सिंचाई करें। इन फसलों में फल छेदक कीट की निगरानी करें। बीज दर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर आलू की रोपाई प्राथमिकता देकर पूरा करने का प्रयास करें। कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी बादशाह, कुफरी ज्योति, कुफरी सिंदुरी, कुफारी अरुण, राजेन्द्र आलू-1, राजेन्द्र आलू-2 तथा राजेन्द्र आलू-3 इस क्षेत्र के लिए अनुशंसित किस्में है। बीज दर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखे। पंक्ति से पक्ति की दूरी 50-100 सेंटीमीटर एवं बीज से बीज की दूरी 15-20 सेंटीमीटर रखें। आलू को काट कर लगाने पर 2 से 3 स्वस्थ आंख वाले टुकडे को उपचारित कर 24 घंटे के अंदर लगाये। बीज को एगलील या एमीसान के 0.5 प्रतिशत घोल या डाइथेन एम-45 के 0.2 प्रतिशत घोल में 10 मिनट तक उपचारित कर छाया में सुखाकर रोपनी करे। समूधा बालू (20-40 ग्राम) लगाना बेहतर है। खेत की जुताई में कम्पोस्ट 200-250 क्विंटल, 75 किलो नेत्रजन, 90 किलो फॉस्फोरस और 100 किलो पोटाश प्रति हैक्टेर दें। बीच की दूरी 12-15 सेमी रखें राई (सरसों) की पिछेती किस्में राजेन्द्र अनुकूल, राजेन्द्र सुफलाम और राजेन्द्र राई पिछेती की बुवाई इस माह के अंत तक जरुर कर लें। जिस खेत में राई की फसल 20 से 25 दिन की हो गई है, वहां निकौनी और बछनी करते हुए पौधों के बीच की दूरी 12-15 सेमी रखें। इसके साथ ही सभी सब्जी फसलों में समय पर निकाई-गुड़ाई करें और आवश्यकता के अनुसार सिंचाई का प्रबंधन करें। चना की बुआई के लिए बेहतर समय चल रहा है। खेत की तैयारी के समय 20 किलो नेत्रजन, 45 किलो फॉस्फोरस, 20 किलो पोटाश और 20 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-250, केपीजी-50 (उदय), केडब्लूआर-108. पंत जी-186 व पूसा 372 अनुशंसित है। बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। 24 घंटा बाद उपचारित बीज को कजरा पिल्लू से बचाव हेतु क्लोरपाईरीफॉस 8 मिली प्रति किलो की दर से मिलाएं। 4 से 5 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबीयम कल्बर (पांच पैकेट प्रति हेक्टेयर) से उपचारित कर बुआई करें। छोटे दानों की किस्मों के लिए बीज दर 75 से 80 किलो और बड़े दाने के लिए 100 किलो प्रति हेक्टेयर बीज रखें। अक्टूबर माह में बोई गई लहसुन की फसल में खरपतवार की नियमित रूप से निकाई करें, कम अंतराल पर हल्की सिंचाई देते रहें। फसल में कीटों की सतत निगरानी सुनिश्चित करें, जिससे किसी भी प्रकार के संक्रमण पर समय रहते नियंत्रित किया जा सके। दुधारू पशुओं के रख-रखाव और उनके खान-पान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।


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