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बृजभूषण शरण की बेटी शालिनी पहली बार मंच पर दिखीं:कहा-एक सल्तनत है लफ्जों की, हम दिखावा नहीं करते; बोलीं- पहलवान की बेटी हूं

बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह की बेटी शालिनी सिंह ने पहली बार सार्वजनिक मंच से कविता और शायरी पढ़ी। वह लेखक भी हैं। उन्होंने 5 किताबें लिखी हैं। मंच पर शायरी पढ़ने पहुंची शालिनी ने कहा कि वह पहलवान की बेटी हैं। मजाक-मजाक में दोनों भाइयों करण और प्रतीक भूषण को बाहुबली टाइप बताया। वह शनिवार को नोएडा में एक कवि सम्मेलन में पहुंची थीं। मंच पर आते ही शालिनी ने कहा, आपने मुझे पहली बार मंच दिया है। पहले मुझे कोई मंच नहीं देता था। मैं बिल्कुल नई कवि हूं, यह मेरा पहला कवि-सम्मेलन है। पढ़ें…शालिनी ने मंच से क्या सुनाया… “किसी चाकू, किसी खंजर, किसी तलवार से नहीं मारूंगा,
यह वादा है मेरा, तेरी तरह पीठ पर वार से नहीं मारूंगा।
अभी देख रहा हूं तुझ में खुदगर्जी कितनी बाकी है,
जब मैं मारने पर आऊंगा, किसी हथियार से नहीं मारूंगा;
मार दूंगा शब्दों से, तो झेल न पाएगा बाण मेरा;
लेखक हूं मैं, कलम के अलावा किसी और औजार से नहीं मारूंगा।” दूसरी शायरी में पढ़ी… “एक सल्तनत है लफ्जों की, हम दिखावा नहीं करते;
हम लिख देते हैं इतिहास, हम दावा नहीं करते।” मंच से कहा– पहलवान की बेटी हूं शालिनी ने मंच से बताया कि दर्शकों में एक पहलवान बैठे हैं। वह पहलवान उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़े हैं। उन्होंने कहा- पहलवान की बेटी हूं। उन्होंने पढ़ा… “हम आएंगे तूफान बनकर- स्वागत की तैयारी रखना, धधकता विजय-घोष रखना, राजतिलक की थाली रखना।” भाई के लिए भी कविता पढ़ी छोटे भाई करण भूषण सिंह की लोकसभा चुनाव में जीत का जिक्र किया। मंच से शालिनी ने कहा- जीत के बाद भाई की एक तस्वीर थी, जिसमें वह चौखट पर मां को गले लगा रहे थे। महिला पहलवानों के आरोप के बाद बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके छोटे बेटे करण भूषण को बीजेपी ने गोंडा के कैसरगंज से टिकट दिया था। शालिनी ने कहा, “रणभूमि से लौटकर मां जब मैंने तेरे गले लगाया, वेदनाएं शांत हुईं। हर घाव केवल माध्यम था; जब हार भी जाता तो ऐसे ही मां गले लगाया करतीं। आज मैं जीत कर लौटा हूं — भाग्य के ललाट पर कर्म का तिलक लगा सकता हूँ तेरे लिए, माँ। मैं हर युद्ध जीत कर आ सकती हूं।” प्रेम और रिश्तों पर भी शालिनी ने कुछ पंक्तियां पढ़ीं… “अपनी-अपनी शिद्दत है वफा निभाने की; तुम्हें वक्त नहीं मिलने का बहाना चाहिए
मुझे ज़रूरत नहीं बहाने की।” वह आगे बोलीं कि अगर सामने वाला नहीं माने तो थोड़ा खतरनाक अंदाज़ में प्रतिक्रिया भी दे सकती हैं: “जो ले लूं तेरे सर अपने तो भी क्या होगा, जो कभी नहीं हुआ, मेरा हुआ;
अब मेरी बदलने की बारी है, वह बदला होगा।” शालिनी ने अपने दोनों भाइयों का भी जिक्र किया, मजाक-मजाक में कहा- वे ‘बाहुबली टाइप’ हैं। उन्होंने आख़िर में कहा.. “इरादा तो नहीं था पर कर दिया; पहले समझाया बहुत, फिर सख्ती की।
एक बार मान जाता तो क्या बात थी; नहीं माना तो फिर से रगड़ दिया हमने।” सास-ससुर हैं बिहार के पूर्व सांसद, नोएडा में पति के साथ रहतीं पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी इकलौती पुत्री शालिनी सिंह की शादी आरा से पूर्व सांसद स्व. अजीत सिंह और पूर्व सांसद मीना सिंह के इकलौते पुत्र विशाल सिंह से की है। विशाल सिंह बिहार के आरा के रहने वाले हैं, लेकिन वर्तमान में नोएडा में रह रहे हैं। विशाल सिंह, भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। वह राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) के चेयरमैन भी हैं। इसे अलावा वह बिहार स्टेट कोआपरेटिव मार्केटिंग यूनियन (बिस्कोमान) के अध्यक्ष भी हैं। शालिनी- विशाल का एक 13 साल का बेटा अथर्व है। उनकी लिखी किताब है- बेबाक हूं बेअदब नहीं। ——————————————————————– ये खबर भी पढ़ें… पति ने स्कूटी नहीं दिलाई तो पत्नी छोड़ गई;आगरा में बोली- बस में धक्के खाती हूं, मुझे नहीं रहना साथ ‘मुझे घर से ऑफिस आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है। रोजाना ऑटो और बस में धक्का-मुक्की झेलनी पड़ती है। मैंने पति से एक्टिवा दिलाने को कहा था, लेकिन नहीं दिला रहे हैं। मुझे अब उनके साथ नहीं रहना है।’ ये कहना है आगरा की एक युवती का जो पति को छोड़कर छह महीने से अपने मायके में रह रही। पढ़िए पूरी खबर


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