बांग्लादेश के रंगपुर जिले में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 75 वर्षीय योगेश चंद्र राय और उनकी पत्नी सुवर्णा राय की घर में गले रेतकर हत्या कर दी गई। दोनों के शव रविवार सुबह उनके घर से बरामद हुए। अभी तक न कोई FIR दर्ज हुई है और न ही कोई गिरफ्तारी हुई है। रविवार सुबह करीब 7.30 बजे पड़ोसियों और घरेलू सहायिका ने कई बार दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद वे सीढ़ी लगाकर घर के अंदर पहुंचे। अंदर सुवर्णा राय का शव रसोई में और योगेश राय का शव डाइनिंग रूम में पड़ा मिला। दोनों के गले कटे हुए थे। पुलिस का कहना है कि हमला देर रात करीब 1 बजे हुआ। दंपती गांव के घर में अकेले रहते थे। उनके दो बेटे शोवेन चंद्र राय और राजेश खन्ना चंद्र राय बांग्लादेश पुलिस में नौकरी करते हैं। दंपती की हत्या की वजह साफ नहीं फोरेंसिक टीम ने जांच शुरू कर दी है लेकिन हत्या की वजह साफ नहीं है। पुलिस ने बताया कि परिवार का कोई पुराना विवाद भी नहीं मिला। रविवार दोपहर 2 बजे तक कोई केस दर्ज नहीं किया गया था। स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी संगठन और समुदाय हत्या से गुस्से में हैं। लोग हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी न होने पर प्रदर्शन की चेतावनी दे रहे हैं। यह हत्या ऐसे समय हुई है जब बांग्लादेश में अंतरिम सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं बढ़ने की शिकायतें हो रही हैं। अप्रैल में हिंदू नेता की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी बांग्लादेश में 19 अप्रैल, 2025 को अज्ञात लोगों ने एक बड़े हिंदू नेता की हत्या कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भाबेश चंद्र रॉय (58) को उनके घर से किडनैप किया गया और पीट-पीटकर मार डाला गया था। वे बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद की बीराल इकाई के उपाध्यक्ष थे। हिंदू समुदाय में उनकी बड़ी पकड़ थी। पुलिस ने बताया कि वे ढाका से 330 किमी दूर दिनाजपुर के बसुदेवपुर गांव के रहने वाले थे। दो बाइक पर सवार होकर चार लोग भाबेश के घर आए और उन को जबरदस्ती उठाकर ले गए। चश्मदीदों के मुताबिक, उन्हें पास के नराबाड़ी गांव ले जाया गया और वहां बेरहमी से पीटा गया। उसी शाम को ही हमलावरों ने भाबेश को बेहोश हालत में वैन से उनके घर भिजवा दिया। पहले उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, फिर दिनाजपुर मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद हिंदू निशाना बने 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश में लंबे छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ था। हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके साथ ही बांग्लादेश में हालात बिगड़ गए। पुलिस रातों-रात अंडरग्राउंड हो गई। लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त हो गया। बेकाबू भीड़ के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक, खासतौर पर हिंदू आए। बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की जान चली गई। रेप और महिलाओं से उत्पीड़न के 13 केस सामने आए। करीब 133 मंदिरों पर हमले हुए। ये घटनाएं 4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच हुईं।
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