बेगूसराय बरौनी रिफाइनरी में निजी कंपनी के तहत सुपरवाइजर का काम कर रहे एक स्टाफ की संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई। घटना शनिवार शाम की है। मृतक की पहचान लाखो थाना क्षेत्र के पनसल्ला गांव के रहने वाले उगनदेव सिंह के बेटा शंभू कुमार सिंह (50) के रूप में हुई है। घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया है। रविवार को रिफाइनरी थाना की पुलिस ने लाश का पोस्टमार्टम सदर अस्पताल में कराया है। परिजनों का कहना है कि मौत की सूचना उन्हें नहीं दी गई और झूठ कहा गया कि ठंड से मौत हुई है। इसलिए इन्होंने जांच की मांग की है और प्रदर्शन भी किया। परिजनों के साथ रात भर विधायक बोगो सिंह भी सड़क पर रहे। शंभू सिंह करीब 20-22 साल से बरौनी रिफाइनरी में काम करने वाली प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। 5 साल से वह रामवरण सिंह कंस्ट्रक्शन में सुपरवाइजर का काम कर रहे थे। बाइक पर बैठाकर पहुंचाया अस्पताल कल शाम अचानक संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई। रिफाइनरी प्लांट के अंदर से एम्बुलेंस के बदले बाइक पर बैठाकर एक निजी अस्पताल लाया गया। जहां मृत घोषित होने पर कंपनी ने परिजनों को कोई सूचना दिए बगैर ही लाश को सदर अस्पताल भेज दिया गया। सदर अस्पताल में मृतक के जेब में मौजूद गेट पास पर लिखे नंबर पर फोन किया गया। परिजन सदर अस्पताल पहुंचे, जहां चेहरा और सिर पर चोट का निशान देखकर पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया और लाश को लेकर रात में रिफाइनरी के सामने पहुंच गए। मौके पर मजदूरों की भीड़ जुटी सड़क पर लाश रखकर प्रदर्शन करने लगे, तो मौके पर मजदूरों की भीड़ जुट गई। सूचना मिलते ही मटिहानी विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह भी रात में रिफाइनरी के पास पहुंचे और लाश के साथ ही सड़क पर बैठ गए। इस दौरान सीआईएसफ और स्थानीय थाना की पुलिस ने परिजनों को कई बार लाश हटाने का दबाव बनाया। लेकिन परिजन और विधायक किसी भी हालत में तैयार नहीं हुए। रात में प्रबंधन की ओर से कोई नहीं आया, स्थिति बिगड़ता देख सुबह में संबंधित कंपनी के प्रतिनिधि पहुंचे और वार्ता के बाद तत्काल 13 लाख मुआवजा देकर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। परिजनों ने इस घटना के जांच की मांग किया है। परिजनों का कहना है कि एक दिन में दो घटनाएं गंभीर मामला है। 22 साल रिफाइनरी में सुपरवाइजर का काम रिफाइनरी में ही प्राइवेट कंपनी के तहत काम करने वाले मृतक के भाई मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि शंभू 22 साल रिफाइनरी में सुपरवाइजर का काम करते थे। अभी वह रामवरण सिंह ठेकेदार के तहत काम कर रहे थे। प्लांट के अंदर कैसे क्या घटना हुआ यह कुछ पता नहीं चला है। बाहर में देखे कि सेफ्टी का एक आदमी बाइक से लेकर जा रहा था। नाक में और सिर में चोट है, ठेकेदार ने ई-रिक्शा से एक प्राइवेट अस्पताल ले गया। सदर अस्पताल से किसी ने फोन किया तो हम लोगों को जानकारी मिला। फिर रात में रिफाइनरी ले गए, सुबह में ठेकेदार की ओर से कुछ मदद किया गया है। ऐसी हालत में मजदूर लोग आइओसीएल में कैसे काम करेगा। आइओसीएल का दर्जा हम लोग पिताजी से भी ऊपर का रखते हैं। ठेकेदार भले ही काम देता है, लेकिन हम लोग आइओसीएल के लिए काम करते हैं। रात भर ठंड में बाहर पड़े रहे, लेकिन प्रबंधन न तो मिलने आए और न ही कोई मदद की। प्लांट के अंदर एम्बुलेंस रहता है, लेकिन इसे एम्बुलेंस से नहीं निकला गया। रामकृष्ण ने बताया कि शंभू सिंह की मौत रिफाइनरी में हार्ट अटैक या ठंड से नहीं हुई है। अंदर में दीवार गिरने से मौत हुई है। ईमानदारी पूर्वक जांच किया जाएगा, तो बहुत लोग फंस जाएंगे। मनगंढत कहानी बनाई गई है कि तबीयत खराब हुई और बाइक से इलाज के लिए लेकर जा रहा था, तो धता मोड़ के पास एक्सीडेंट में मौत हो गया। एक दिन में रिफाइनरी के अंदर दो मौत सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
https://ift.tt/IrfWy8w
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply