बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में मदर न्यू बॉर्न केयर यूनिट (MNCU) का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। पीरामल फाउंडेशन की एक जांच टीम ने निरीक्षण के दौरान यूनिट को खाली पाया। इस यूनिट का उद्देश्य नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं और एक साल तक के बच्चों को बेहतर उपचार व देखभाल प्रदान करना है। इसके निर्माण और उपकरणों पर सरकार ने लगभग एक करोड़ रुपये खर्च किए हैं। शुक्रवार को पीरामल फाउंडेशन के डिविजनल मैनेजर नवीदुरहमान के नेतृत्व में एक टीम ने MNCU का अचानक निरीक्षण किया। टीम में जिला स्तर के राजू सिंह, हिना ठाकुर, राजेश झा और संजय कुमार जैसे सदस्य शामिल थे। निरीक्षण के दौरान टीम ने पाया कि यूनिट में एक भी जच्चा-बच्चा भर्ती नहीं था। टीम ने जीएनएम सरला कुमार और रिंकू सिंह से यूनिट से संबंधित जानकारी ली। ऑक्सीजन, हार्टबीट मॉनिटरिंग और नवजात देखभाल के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध जीएनएम स्टाफ ने बताया कि एमएनसीयू में आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण उपकरण स्थापित किए गए हैं। यहां ऑक्सीजन, हार्टबीट मॉनिटरिंग और नवजात देखभाल के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं। डिविजनल मैनेजर नवीदुरहमान ने स्पष्ट किया कि यह केंद्र केवल अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे अनुमंडल के शून्य से एक साल तक के बच्चों के लिए भी है। हालांकि, प्रचार-प्रसार के अभाव में लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। प्रचार-प्रसार के लिए माइकिंग कराने का निर्देश दिया निरीक्षण टीम ने अस्पताल प्रबंधन को MNCU के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए माइकिंग कराने का निर्देश दिया। साथ ही, सभी चिकित्सकों और कर्मियों को इसके उपयोग की बिंदुवार जानकारी देने को कहा गया। टीम ने दोहराया कि राज्य और केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य जच्चा-बच्चा मृत्यु दर को कम करना है। 15 दिनों के भीतर MNCU को सुचारू रूप से चालू करने का निर्देश गौरतलब है कि विगत जून माह में जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने भी निरीक्षण के दौरान 15 दिनों के भीतर MNCU को सुचारू रूप से चालू करने का निर्देश दिया था। वर्तमान में सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद, जानकारी के अभाव में लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। पीरामल फाउंडेशन की टीम इस निरीक्षण की रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को भेजेगी।
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