बक्सर में मंगलवार रात 56वां सीताराम विवाह महोत्सव राम-जानकी मंदिर परिसर में संपन्न हुआ। इस अवसर पर देश के विभिन्न राज्यों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने इस दिव्य आयोजन को देखा। महोत्सव का मुख्य आकर्षण भगवान श्रीराम की बारात रही। इसमें राजा दशरथ हाथी पर सवार थे, जबकि भगवान श्रीराम अपने तीनों भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ घोड़ों पर सवार होकर अयोध्या से जनकपुर (राम-जानकी मंदिर परिसर) पहुंचे। बैंड-बाजे और जयकारों के बीच यह बारात निकाली गई। बारात मंगलवार रात राम-जानकी मंदिर परिसर पहुंची महोत्सव समिति के अनुसार, बारात 24 नवंबर को अयोध्या से प्रस्थान कर कई पड़ावों से गुजरते हुए 25 नवंबर की रात जनकपुर स्थित राम-जानकी मंदिर परिसर पहुंची। राजा जनक की नगरी में पहुंचते ही द्वारपूजा की रस्म के साथ विवाह समारोह का विधिवत शुभारंभ हुआ। सिर पर मंगल कलश लिए शामिल हुईं महिलाएं द्वारपूजन में सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक वेश-भूषा में सिर पर मंगल कलश लिए शामिल हुईं। पुष्पवर्षा और मंगलगीतों के साथ द्वारचार की रस्म संपन्न हुई। इसके बाद दूल्हा परीक्षण, कन्यादान और सिंदूरदान जैसी रस्में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूरी की गईं। बक्सर में यह परंपरा 546 वर्षों से चली आ रही रामजानकी आश्रम के महंत और आयोजक श्री राजाराम ने बताया कि बक्सर में यह परंपरा 546 वर्षों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। नौ दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 24 घंटे भंडारा, सत्संग, रामलीला और विभिन्न भक्ति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें रात्रि जागरण और मंगला-गान भी शामिल हैं, जिनमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था श्रद्धालुओं की विशाल भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। कार्यक्रम स्थल के आस-पास बैरियर्स, पुलिस बल एवं CCTV निगरानी के जरिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। भक्ति रस से सराबोर रहा बक्सर सीताराम विवाह का दिव्य नजारा देखने के लिए लोग अपने परिवारों के साथ देर रात तक मौजूद रहे। भक्तों का कहना था कि यह विवाह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि प्रभु प्रेम का जीवंत प्रतीक है। भक्ति संगीत, उत्साह और आध्यात्मिक ऊर्जा से गूंजते बक्सर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यहां की धरती सचमुच आस्था, परंपरा और संस्कृति की राजधानी है। इस भव्य आयोजन ने न सिर्फ धार्मिक उत्सव की परंपरा को आगे बढ़ाया, बल्कि समाज में प्रेम, मर्यादा और धर्म के संदेश को भी पुनः स्थापित किया। अगले वर्ष फिर इसी उत्साह और श्रद्धा के साथ लाखों भक्त सीताराम विवाह के साक्षी बनने बक्सर की इस पावन भूमि पर जुटेंगे।
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