पूर्णिया में डंगराहा ओपी की पुलिस और मत्स्य विभाग ने दो मिनी ट्रक पर लदे 2 टन प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली को नष्ट कराया है। मत्स्य विभाग पटना से पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि क्षेत्र से प्रतिबंधित मछलियों की बड़ी खेप गुजरने वाली है। ओपी पुलिस ने नाकाबंदी कर दोनों मिनी ट्रकों को पकड़ा और इस पर लदे 2 टन मछलियों को नष्ट कराया। पुलिस ने मौके से पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रहने वाले ड्राइवर मो.आमिन, सुरजापुर निवासी मो. इमदाउल हक, देवाशी दास और अनिमेश गुप्ता को पकड़ा। बाद में पीआर बाउंड पर छोड़ दिया गया। मामला बायसी थाना क्षेत्र के डंगराहा ओपी से जुड़ा है। गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई बायसी थानाध्यक्ष संजीव कुमार ने बताया कि मत्स्य विभाग की ओर से जानकारी मिली थी कि मिनी ट्रक में भरकर प्रतिबंधित मछली की खेप डंगराहा ओपी क्षेत्र से होकर गुजर रही है। मिली सूचना पर पुलिस हरकत में आई। ओपी पुलिस और मत्स्य विभाग पटना की संयुक्त कार्रवाई में टीम को ट्रक मिला। तलाशी में इसमें 2 टन प्रतिबंधित मांगुर मछलियां पाई गईं। जिनकी अनुमानित कीमत लाखों में है। पुलिस ने आगे की कार्रवाई करते हुए मछलियों को ट्रक समेत ओपी लेकर आई। मत्स्य विभाग पटना की मौजूदगी में जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर मछलियों को नष्ट किया गया। अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों पर कार्रवाई शहर के सदर थानाक्षेत्र के खुश्कीबाग और सिटी मछली बाजार में इस प्रतिबंधित मांगुर मछली को चोरी छिपे धड़ल्ले से बेचा जाता है। मछली आढ़त में बंगाल से आ रही है। तालाब या नदी में डाल दिया जाए तो नदी की सारी छोटी-बड़ी मछली को खाकर अपनी जनसंख्या फैलाने का काम करता है। क्षेत्र में प्रतिबंधित मछलियों की प्रजातियों की खरीद-फरोख्त पर सख्त नजर रखी जा रही है। इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। चाइना मांगुर पूरी तरह से मांसाहारी मछली है। इसकी खूबी है कि गंदे पानी में तेजी से बढ़ती है, जहां अन्य मछलियां पानी में ऑक्सीजन की कमी से मर जाती है, लेकिन ये जीवित रहती है। इलाके में चोरी-छिपे बिक्री की जा रही है भारत सरकार ने साल 2000 में ही मांगुर मछली के पालन और बिक्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन चोरी-छिपे बिक्री जारी है। इस मछली के सेवन से कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है। ये मछली मांस खाना पसंद करती है। सड़ा हुआ मांस खाने के कारण इनका शरीर तेजी से बढ़ता है। यही कारण है कि ये मछलियां 3 महीने में 10 Kg वजन की हो सकती हैं। इन मछलियों के अंदर घातक हेवी मेटल्स जिसमें आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। चाइना मांगुर से मुख्य रूप से हृदय संबंधी बीमारी के साथ न्यूरोलॉजिकल, यूरोलॉजिकल, लीवर की समस्या, पेट और प्रेग्नेंसी संबंधी बीमारियां और कैंसर जैसी घातक बीमारी अधिक हो रही है। इसका पालन करने से स्थानीय मछलियों को भी क्षति पहुंचती है। साथ ही आसपास के वातावरण और स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है।
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