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पुतिन के भारत दौरे पर वर्ल्ड मीडिया:BBC ने कहा- अमेरिकी दबाव के बीच पुतिन भारत पहुंचे, यूक्रेनी मीडिया ने लिखा- भारतीय डिप्लोमेसी की परीक्षा

रूसी राष्ट्रपति पुतिन गुरुवार को 4 साल बाद भारत दौरे पर पहुंचे। पीएम मोदी ने एयरपोर्ट पर पुतिन को गले लगाकर स्वागत किया। इससे के बाद दोनों नेता एक ही कार से पीएम आवास पहुंचे, जहां रूसी राष्ट्रपति के सम्मान में प्राइवेट डिनर दिया गया। अमेरिका से लेकर यूक्रेन तक की मीडिया इस दौरे को प्रमुखता से कवर कर रही है। पढ़िए प्रमुख मीडिया आउटलेट ने पुतिन के भारत दौर पर क्या लिखा। ब्रिटिश मीडिया BBC- पुतिन दो दिन की यात्रा पर भारत पहुंचे, जहां पीएम मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच सालाना शिखर बैठक होगी, जिसमें कई समझौतों पर चर्चा की उम्मीद है। यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका लगातार भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह रूस से तेल खरीद कम करे। भारत और रूस की दोस्ती बहुत पुरानी है और दोनों देश एक-दूसरे के लिए कई मायनों में जरूरी हैं। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और लगभग डेढ़ अरब की आबादी वाला मार्केट है। यही वजह है कि रूस भारत को अपने लिए महत्वपूर्ण साझेदार मानता है। खासकर तेल के कारोबार में रूस को भारत से बड़ी उम्मीदें हैं। ऑयल के अलावा रक्षा क्षेत्र में भी भारत और रूस की साझेदारी काफी मजबूत है। कई सालों से भारत रूसी हथियार खरीदता आया है और इस यात्रा से पहले ऐसी खबरें आई थीं कि भारत रूस से नए लड़ाकू विमान और एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहा है। रूस में स्किल वर्कर्स की कमी है और वह भारत को इस कमी को पूरा करने वाले एक बड़े सोर्स के तौर पर देखता है। इस यात्रा का एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी है। रूस दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि पश्चिमी देशों के विरोध और यूक्रेन युद्ध के बावजूद वह अकेला नहीं है। पुतिन का भारत आना और इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी मुलाकातें इसी संदेश का हिस्सा हैं। रूस जोर देकर कहता है कि उसकी चीन के साथ ‘नो-लिमिट पार्टनरशिप’ है और भारत के साथ उसका रिश्ता भी ‘स्पेशल और स्ट्रैटेजिक’ है। यूक्रेनी मीडिया कीव इंडिपेंडेंट- इस हफ्ते भारत की कूटनीति की बड़ी परीक्षा है, क्योंकि वह रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी कर रहा है। भारत पर दुनिया की नजर इसलिए भी है क्योंकि उसे रूस के साथ एनर्जी और रक्षा संबंध मजबूत रखने हैं, जबकि यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपीय देश चाहते हैं कि भारत, रूस पर दबाव बनाए ताकि युद्ध कमजोर पड़े। पुतिन के लिए यह यात्रा यह दिखाने का मौका है कि रूस दुनिया से अलग-थलग नहीं है और उसके पास ग्लोबल साउथ जैसे बड़े क्षेत्रों में मजबूत साझेदार मौजूद हैं। यूक्रेन में कई एक्सपर्ट चिंतित हैं कि मोदी अपने अगस्त 2024 में दिए गए उस वादे पर कितना टिके रहेंगे, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा था कि भारत युद्ध खत्म कराने में मदद करेगा। यूरोपीय देशों को भी उम्मीद है कि मोदी, पुतिन से बात करते हुए यूरोप की सुरक्षा चिंताओं का ध्यान रखेंगे। भारत और रूस की दोस्ती कई दशकों पुरानी है। शीत युद्ध के समय से दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध रहे हैं और 1971 के भारत-पाक युद्ध में सोवियत संघ ने भारत का समर्थन भी किया था। यही वजह है कि भारतीय नेता रूस को अक्सर सबसे भरोसेमंद दोस्त बताते हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की दोनों से बातचीत की है और हिंसा रोकने की अपील की है। लेकिन ग्लोबल मंच पर भारत ने हमेशा न्यूट्रल रुख अपनाया है और UN में रूस के खिलाफ लाए गए कई प्रस्तावों पर मतदान से दूरी बनाई है, जैसा उसने 2014 में क्रीमिया के मामले पर भी किया था। अमेरिकी मीडिया न्यूयॉर्क टाइम्स- मोदी का खुद एयरपोर्ट जाकर पुतिन को रिसीव करना दोनों नेताओं के बीच करीबी रिश्तों को दिखाता है। पुतिन भारत एक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण दौरे पर आए हैं, जहां दोनों नेता सालाना भारत-रूस समिट की बैठक करेंगे। इस दौरान रक्षा सौदों, व्यापार को आसान बनाने और भारत से रूस में कामगार भेजने से जुड़े समझौतों पर बात होने की उम्मीद है। पुतिन जैसे ही विमान से उतरे, मोदी ने उनसे हाथ मिलाया और दोनों नेता गले मिले। इसके बाद वे साथ में कार से रवाना हुए, जो पिछली बार चीन में उनकी ‘लिमो डिप्लोमेसी’ की याद दिलाती है, जब पुतिन ने मोदी को अपनी लिमोजीन में घुमाया था। गुरुवार रात मोदी ने पुतिन के लिए प्राइवेट डिनर होस्ट किया। इन बैठकों पर अमेरिका का दबाव भी असर डाल रहा है, क्योंकि अमेरिकी सरकार को भारत की रूस से तेल खरीद पर आपत्ति रही है। भारत-रूस समिट दिखाती है कि दोनों देशों का रिश्ता दशकों पुराना और मजबूत है। पुतिन के लिए यह यात्रा दुनिया को यह बताने का मौका भी है कि रूस के पास अभी भी महत्वपूर्ण ग्लोबल पार्टनर मौजूद हैं। वहीं, मोदी के लिए संतुलन बनाना मुश्किल है, एक तरफ रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है और दूसरी तरफ अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार। पाकिस्तानी मीडिया द डॉन- पुतिन के इस दौरे का मकसद भारत और रूस के रक्षा संबंधों को और मजबूत करना है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह रूस से तेल खरीदना कम करे। इस यात्रा में व्यापार पर सबसे ज्यादा जोर रहेगा, क्योंकि भारत को रूस से सस्ता तेल भी चाहिए और साथ ही वह अमेरिका को भी नाराज नहीं करना चाहता। ट्रम्प प्रशासन ने अगस्त में भारत के कई प्रोडक्ट पर 50% टैरिफ लगा दिया था, यह कहते हुए कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसकी वॉर मशीन को पैसा पहुंचा रहा है। रूस चाहता है कि वह भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई बढ़ाए और भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस भारत को अपने Su-57 लड़ाकू विमान की जॉइंट प्रोडक्शन परियोजना की पेशकश भी कर सकता है। तेल के मामले में भारत रूस का बड़ा खरीदार बन गया था, जिससे उसे अरबों डॉलर की बचत हुई। लेकिन हाल के महीनों में अमेरिका की सख्त पाबंदियों के बाद भारत ने रूसी तेल की खरीद घटाई है। भारत को डर है कि रूस के साथ कोई नई बड़ी एनर्जी या डिफेंस डील करने से अमेरिका नाराज हो सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार बातचीत पर असर पड़ सकता है। कतर मीडिया अलजजीरा- मोदी ने पुतिन को गले लगाकर यह मैसेज दिया कि दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत रिश्ता काफी मजबूत है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत पर अमेरिका का दबाव बढ़ रहा है। पुतिन ने कहा कि अगर अमेरिका को रूस से परमाणु ईंधन खरीदने का हक है, तो भारत को भी रूसी तेल लेने का पूरा अधिकार होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस की एनर्जी साझेदारी राजनीतिक परिस्थितियों या यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाओं से प्रभावित नहीं होती। मोदी ने पुतिन का जिस तरह स्वागत किया, उससे दुनिया को यह संदेश गया है कि भारत पश्चिमी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह स्वागत यह भी दिखाता है कि पुतिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर पूरी तरह अलग-थलग नहीं हैं। भारत के लिए रूस से आने वाला तेल अब पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गया है। 2022 से पहले भारत केवल 2.5% तेल रूस से खरीदता था, जो अब बढ़कर लगभग 36% हो गया है। इससे भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रूसी तेल खरीदने वाला देश बन गया है। बांग्लादेशी मीडिया डेली स्टार- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद एयरपोर्ट पर पुतिन को रिसीव करने पहुंचे, जो बहुत कम देखा जाने वाला कदम है और यह दोनों नेताओं के करीबी रिश्ते को दिखाता है। पुतिन विमान से उतरते ही मोदी से गले मिले और दोनों एक ही गाड़ी में बैठकर रवाना हुए। भारत और रूस ने 2030 तक आपसी व्यापार बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। दोनों देशों का व्यापार 2021 के 13 अरब डॉलर से बढ़कर 2024–25 में करीब 69 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से भारत की तरफ से बड़े पैमाने पर रूसी तेल खरीदने की वजह से हुई। हालांकि अप्रैल-अगस्त 2025 के दौरान व्यापार घटकर 28.25 अरब डॉलर रह गया। इसका कारण अमेरिका की तरफ से भारतीय सामान पर भारी शुल्क लगाना और रूस से तेल खरीद पर प्रतिबंधों का दबाव है। रूस ने साफ कहा है कि वह भारत से ज्यादा सामान खरीदना चाहता है ताकि व्यापार संतुलित हो सके। अभी भारत रूस से एनर्जी बहुत ज्यादा खरीदता है, लेकिन रूस भारत से बहुत कम सामान लेता है।


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