उत्तराखंड में जंगली जानवरों का आतंक बना हुआ है, वन विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक भालू के 74 हमले हो चुके हैं जिसमें 7 लोगों की मौत भी हो चुकी हैं। वहीं, पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी में भालुओं का आतंक बढ़ गया है। भालू यहां पर भोजन की तलाश में लोगों के घरों में तोड़फोड़ कर रहा है, जिससे की भय का माहौल बना हुआ है। बीते कल ही घरों की सुरक्षा की मांग को लेकर ग्रामीणों का एक शिष्टमंडल पिथौरागढ़ पहुंचा। जहां, ग्रामीणों ने डीएम और डीएफओ से जल्द ही भालुओं का आतंक रोकने के लिए उचित इंतजाम करने की मांग उठाई। इस संबंध में डीएफओ आशुतोष सिंह ने बताया कि धारचूला रेंज के अधिकारियों को प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं, उम्मीद है कि इससे क्षेत्र में भालू की एक्टिविटी कमी आएगी और लोगों में दहशत भी कम होगी। बर्फबारी के कारण घर लौटे, लेकिन घर अब सुरक्षित नहीं दारमा घाटी के 14 गांवों के लोग हर साल अप्रैल माह में धारचूला से अपने मूल गांवों में जाते हैं। इन गांवों में दर, नांगलिंग, सेला, चल, बालिंग, दुग्तु, सोन, दांतु, बोन, फिलम, तिदांग, गो, मारछा, सीपू शामिल हैं। 6 महीने तक ये लोग वहां पर खेती और जड़ी बूटी का उत्पादन करते हैं और फिर नवंबर में बर्फबारी शुरू होते ही घरों को बंद कर धारचूला लौट आते हैं। इस साल भी अधिकांश परिवार उच्च हिमालयी क्षेत्र के गांवों से लौट आए हैं। लेकिन अब यहां पर भालुओं ने आतंक मचाना शुरू कर दिया है, जिससे वह काफी परेशान हैं। पत्थर वाली छतों को बना रहे निशाना दारमा घाटी के गांवों में भालू पत्थर की छत वाले पुराने मकानों को निशाना बना रहे हैं। भालू छतों से पत्थर और फिर लकड़ी को हटाने के बाद घरों में घुस रहे हैं। भालुओं ने कई घरों के दरवाजे भी तोड़े हैं। ग्रामीणों के लिए अब फिर से दारमा घाटी जाकर तोड़े गए मकानों की छतों और दरवाजों की रिपेयरिंग करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। यदि छतों का सुधार नहीं होता है तो बारिश और बर्फबारी से मकान का सारा सामान खराब होने की आशंका है। हर साल नुकसान पहुंचाते हैं भालू दिलिंग दारमा समिति के अध्यक्ष करन सिंह ग्वाल ने बताया कि भालू ने कई घरों को तोड़ दिया गया है। छत में छेद बनाए हैं। चार पांच महीनों के लिए ग्रामीण घरों में राशन स्टोर कर लौटते हैं। भालुओं ने राशन खा दिया गया है। हर साल इसी तरह की घटनाएं होती हैं। इस मामले से डीएम, डीएफओ को अवगत कराया गया है। वन विभाग को घरों की सुरक्षा के प्रबंध करने चाहिए। कुट्टू की खेती नहीं कर पा रहे ग्रामीण राम सिंह सोनाल ने बताया कि जब दारमा घाटी के गांवों में कोई लोग वहां पर नहीं रहते हैं तब भालुओं की चहलकदमी बढ़ जाती है। घरों में रखा खाद्यान्न खा देते हैं। भालुओं के कारण दारमा घाटी में कुट्टू की खेती भी नहीं हो पा रही है। भालुओं से खेती, घरों और लोगों की सुरक्षा के लिए शासन प्रशासन को ठोस रणनीति बनानी चाहिए। ———– ये खबर भी पढ़ें… चमोली में जंगल गई महिला पर भालू का अटैक:दराती से खुद को छुड़ाया, रात भर पेड़ के पीछे छिपी रही; सुबह हेलिकॉप्टर से भेजा AIIMS चमोली में घास के लिए जंगल गई महिला पर भालू ने हमला कर दिया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गई है। महिला के सिर पर भालू ने गंभीर वार किए हैं जिससे उसका चेहरा बुरी तरह क्षत विक्षत हो गया है। एयरलिफ्ट कर उसे AIIMS ऋषिकेश पहुंचाया गया है, जहां पर उसका इलाज चल रहा है। (ये खबर भी पढ़ें)
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