पश्चिम चंपारण के कुमारबाग स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में चल रही त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. रविकांत ने कहा कि शिक्षक शिक्षा की वर्तमान प्रासंगिकता से अधिक उसकी आवश्यकता पर जोर देना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शिक्षक ‘बाई चॉइस’ बनें, ‘बाई चांस’ नहीं। प्रो. रविकांत ने शिक्षक शिक्षा की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, एक अच्छे शिक्षक में केवल पढ़ाने की क्षमता ही नहीं, बल्कि खोजी प्रवृत्ति और मार्गदर्शक की भूमिका भी होनी चाहिए। शिक्षक शिक्षा प्रणाली का संक्षिप्त परिचय भी दिया विशिष्ट अतिथि प्रो. सुकेश कुमार पांडे ने शिक्षक शिक्षा में कौशल, व्यावसायिक दृष्टिकोण और अनुभव के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1793 से अब तक की शिक्षक शिक्षा प्रणाली का संक्षिप्त परिचय भी दिया। डाइट किलाघाट के डॉ. प्रदीप कुमार ने कहा कि एक अच्छे शिक्षक से ही आदर्श राष्ट्र का निर्माण संभव है, इसलिए शिक्षक की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर ध्यान देना आवश्यक है। सही-गलत की पहचान करने की क्षमता पर जोर डाइट अरवल के मनोज कुमार पांडे ने शिक्षक शिक्षा में सही-गलत की पहचान करने की क्षमता पर जोर दिया। संगोष्ठी का संचालन त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी ने किया, जबकि डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। संस्थान की प्राचार्य मधु कुमारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के उद्देश्य और आवश्यकता पर प्रकाश डाला। जिम्मेदार शिक्षकों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सेमिनार प्रशिक्षुओं ने अतिथियों के लिए स्वागत गीत प्रस्तुत किया और धन्यवाद ज्ञापन मंजू कुमारी ने किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शोधार्थी, लैब विद्यालय के शिक्षक, प्रशिक्षु छात्र-छात्राएं, संस्थान के व्याख्याता और कर्मचारी उपस्थित थे। यह संगोष्ठी शिक्षक शिक्षा में नवाचार और जिम्मेदार शिक्षकों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
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