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परिजनों से डिलीवरी के लिए 700 रुपए मांगने का आरोप:परबत्ता CHC में अवैध वसूली का मामला, प्रभारी ने शिकायत मिलने पर कार्रवाई का आश्वासन दिया

खगड़िया जिले के परबत्ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। गुरुवार को कबेला गांव की एक महिला के परिजनों ने आरोप लगाया कि प्रसव सेवाओं के नाम पर स्वास्थ्यकर्मियों ने 700 रुपए की जबरन वसूली की। इस घटना से स्थानीय लोगों में तीखा आक्रोश फैल गया है और सीएचसी की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। सामान्य सेवाओं के नाम पर पैसे वसूलने का आरोप परिजनों का कहना है कि स्वास्थ्यकर्मियों ने “सुई लगाने”, “देखभाल करने” और “पानी उपलब्ध कराने” जैसे सामान्य कार्यों के बहाने पैसे मांगे। महिला की गंभीर स्थिति को देखते हुए परिजनों को मजबूरी में यह राशि देनी पड़ी। ग्रामीणों ने इसे “खुली उगाही” करार दिया है। पहले भी लग चुके हैं ऐसे आरोप यह पहली बार नहीं है जब परबत्ता सीएचसी पर इस तरह के आरोप लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, प्रसव कक्ष में तैनात कुछ कर्मचारी नियमित रूप से मरीजों से मनमानी रकम वसूलते हैं। कई परिवार इलाज में बाधा आने के डर से शिकायत करने से कतराते हैं। ग्रामीणों और नेताओं ने उठाए सवाल सीपीएम नेता नवीन चौधरी और अन्य ग्रामीणों ने इस घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कर्मचारियों को सरकारी वेतन मिलता है, तो गरीब मरीजों से वसूली क्यों की जाती है? ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के नियमों के तहत प्रसव सहित सभी बुनियादी सुविधाएं मुफ्त हैं, लेकिन परबत्ता सीएचसी में यह व्यवस्था केवल कागजों तक सीमित है। स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी का बयान परबत्ता सीएचसी की प्रभारी डॉ. कशिश ने कहा कि उन्हें अभी तक इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि शिकायत मिलती है, तो दोषी कर्मचारियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों की मांग – “लूट बंद हो, दोषियों पर कार्रवाई हो” ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल जांच कराने और दोषी कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में गरीबों के साथ इस तरह की जबरन वसूली किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल परबत्ता सीएचसी पर लगे इस ताज़ा आरोप ने एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर कर दिया है। ग्रामीणों का आक्रोश इस बात का संकेत है कि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।


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