भारतमाला परियोजना के तहत ‘आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे’ के निर्माण को लेकर सोमवार को पटना के दौलतपुर में किसानों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोक-झोंक के साथ झड़प की स्थिति भी उत्पन्न हो गई। हालात तब बिगड़े, जब पुलिस और प्रशासन की टीम खेतों में खड़ी लहलहाती फसलों को बुलडोजर से नष्ट करने पहुंची। किसानों ने प्रशासन की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और मौके पर ही धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन कर रहे किसानों का आरोप है कि उनकी जमीन अधिग्रहण के बदले अब तक न तो उचित मुआवजा दिया गया है और न ही पुनर्वास या वैकल्पिक रोजगार की कोई व्यवस्था की गई है। किसानों का कहना है कि बिना पूर्व सूचना और उनकी आपत्तियों को सुने प्रशासन ने उनकी फसलों पर बुलडोजर चलवा दिया, जिससे उनकी वर्षों की मेहनत पलभर में बर्बाद हो गई। मौके से आई कुछ तस्वीरें देखिए…. किसानों का आरोप – जबरदस्ती खेत से हटाया गया स्थानीय नागरिकों के अनुसार, पटना से आए कार्यपालक पदाधिकारी सुनील कुमार के निर्देश पर पुलिस बल ने विरोध कर रहे किसानों को खेतों से हटाया। इस दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया। प्रदर्शन में शामिल देव कुमार, सुनील कुमार और धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि ‘खेती ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है। अगर उन्हें जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिला, तो उनके परिवार और बच्चों के भरण-पोषण पर गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा। भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधान लागू करें प्रशासन की कार्रवाई पर पचरुखिया पंचायत के पूर्व मुखिया देव कुमार सिंह ने कहा कि ‘हम विकास या सड़क निर्माण के विरोधी नहीं हैं। हम जमीन देने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सवाल हमारे और हमारे बच्चों के पेट का है। यही जमीन हमारी आजीविका का सहारा है। भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जो प्रावधान हैं, उन्हें पूरी तरह लागू कर बाजार मूल्य के अनुरूप मुआवजा दिया जाए, ताकि प्रभावित परिवार सम्मानजनक तरीके से जीवन यापन कर सकें। मेरी भी लगभग एक बीघा जमीन इस एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित की गई है।’ प्रशासन की कार्रवाई से किसानों में भारी गुस्सा घटना के बाद से इलाके के किसानों में भारी गुस्सा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें सही मुआवजा, फसलों के नुकसान की भरपाई और पुनर्वास की ठोस व्यवस्था नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर व्यापक आंदोलन करेंगे। स्थानीय किसान संगठनों ने भी प्रशासन की नीति पर सवाल उठाए हैं। संगठनों का कहना है कि परियोजना के संभावित लाभ और किसानों को दिए जा रहे मुआवजे के बीच संतुलन नहीं है। केवल नाममात्र का मुआवजा किसानों की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता। उन्होंने जमीन के बदले बाजार दर पर मुआवजा, प्रभावी पुनर्वास योजना और वैकल्पिक आजीविका के विकल्प उपलब्ध कराने की मांग की है। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रशासन से तत्काल बैठक बुलाकर भूमि की पटिका कीमतों, पुनर्वास पैकेज और फसलों के नुकसान का समुचित आकलन कर निर्णय लेने की मांग की है। इलाके में तनाव जैसी स्थिति वहीं, प्रशासन की ओर से परियोजना की समय-सीमा और सार्वजनिक हित का हवाला देते हुए कार्य में तेजी लाने की बात कही जा रही है। स्थानीय अधिकारियों और पुलिस की मौजूदगी से क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालात को देखते हुए जनता और स्थानीय नेताओं ने दोनों पक्षों के बीच संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि समस्या का हल निकाला जा सके।
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