दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएं, जो आतंकवाद के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि तिहाड़ जेल की रिपोर्ट के अनुसार, मलिक किसी भी गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं जान पड़ता है। उन्होंने कहा कि यदि जेल में मलिक की स्थिति के अनुसार चिकित्सा उपचार उपलब्ध नहीं है, तो उसे उन अस्पतालों में उपचार उपलब्ध कराया जाए, जहां ऐसी सुविधा उपलब्ध है।
अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के समर्थन में 2017 के चिकित्सा दस्तावेज संलग्न किए हैं। तिहाड़ जेल से प्राप्त रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है।’’
अदालत ने कहा कि याचिका का निपटारा इस निर्देश के साथ किया जाता है कि मलिक की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार उचित चिकित्सा प्रदान की जाए और यदि उक्त उपचार जेल में उपलब्ध नहीं है, तो उसे आवश्यक सुविधा वाले अस्पतालों में प्रदान किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने मलिक की उस याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया, जिसमें चिकित्सा देखभाल की मांग की गई थी और कहा गया था कि उसका इलाज एम्स अथवा दिल्ली या श्रीनगर के किसी अन्य सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल में किया जाए।
सुनवाई के दौरान, मलिक के वकील ने दलील दी कि वह हृदय रोगी है और तिहाड़ जेल में कोई हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है, इसलिए उसे इलाज के लिए एम्स ले जाया जाना चाहिए।
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