‘बजट तो 40 हजार का था, पर जब 10 हजार रुपए और मिले तो मन मजबूत हुआ। फॉर्म भरते समय कहा गया था कि इस पैसे से कारोबार करना है तभी आगे 2 लाख रुपए मिलेंगे। 1 गाय लिया है। अब दूध बेचूंगी। आगे पैसा मिला तो 2-3 गाय और रखूंगी।’ इतना कहते हुए राघोपुर के चांदपुरा में रहने वाली सीमा कुमारी की आंखें चमक उठतीं हैं। दिल में भविष्य के सुनहरे सपने हैं। यह कहानी किसी एक महिला की नहीं, बिहार की 1 करोड़ से अधिक जीविका दीदियों की है। बिहार सरकार ने जीविका दीदियों को 10 हजार रुपए दिए, उसका क्या हुआ? महिलाओं के जीवन में क्या बदलाव हुए? वे 2 लाख रुपए के वादे पर क्या सोचती हैं? पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट हर विधानसभा क्षेत्र में 60-62 हजार महिलाओं को मिले पैसे बिहार में जीविका दीदियों को मिले 10 हजार रुपए को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। इन्हें NDA को रिकॉर्ड 202 सीटें मिलने का बड़ा कारण कहा जा रहा है। चुनाव हारने के बाद जन सुराज के प्रशांत किशोर ने कहा, ‘हर विधानसभा में 60–62 हजार महिलाओं को सीधे 10-10 हजार रुपए दिए गए। सरकार वादे के अनुसार 6 महीने में 2-2 लाख रुपए दे।’ तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र की जीविका दीदियों ने क्या कहा? जीविका दीदियों को मिले पैसे को लेकर हो रही बयानबाजी के बीच हम वैशाली जिले के राघोपुर प्रखंड पहुंचे। यहां से राजद नेता तेजस्वी यादव विधायक बने हैं। यहां के गुलाबी क्लब से करीब 500 जीविका दीदियां जुड़ी हैं। चांदपुरा गांव में हमें सीमा कुमारी मिलीं। वह अपने मवेशियों के खाने का इंतजाम कर रहीं थी। आप जीविका दीदी हैं? पूछने पर बड़े गर्व से जवाब दिया- ‘हां’। 10 हजार मिले हैं? इसपर कहा- ‘हां सरकार से मदद मिली है। बहुत खुश हूं।’ पैसा मिला तो 2-3 गाय और रखूंगी सीमा कुमारी ने कहा, ‘गाय पालन शुरू करने के लिए बजट तो 40 हजार रुपए का था, पर जब 10 हजार रुपए और मिले तो मन मजबूत हुआ। फॉर्म भरते समय कहा गया था कि इस पैसे से कारोबार करना है तभी आगे 2 लाख रुपए मिलेंगे। अब दूध बेचूंगी। आगे पैसा मिला तो 2-3 गाय और रखूंगी।’ पैसे मिले थे, पति को दे दिए इसके बाद हमें रिंकू देवी मिलीं। करीब 8 साल से जीविका से जुड़ी हैं। 10 हजार के बारे में पूछने पर कहा, ‘हमारा खुद का कारोबार है। पति लकड़ी का काम करते हैं। छठ के समय पैसे मिले थे। उस समय उन्हें जरूरत थी तो मैंने पैसे दे दिए।’ सरकार से मिले पैसे से सिलाई मशीन खरीदी इसके बाद हमारी बात गुलाबी क्लब की सक्रिय सदस्य सुशीला कुमारी से हुई। उन्होंने कहा, मुझे और मेरी देवरानी को पैसे मिले। हमने सिलाई मशीन खरीदी है। सुशीला बोलीं, ‘शुरुआत तो करनी ही थी, इसलिए पैरों से चलने वाली सिलाई मशीन खरीद ली। मुझे 4 हजार रुपए लगाने पड़े, लेकिन घर में एक काम का सामान हो गया। अगर 2 लाख रुपए मिले तो काम और बढ़ाऊंगी। हमारे ग्रुप में लगभग सभी ने पैसा बिजनेस में लगाया है।’ बात यहीं खत्म नहीं हुई। सुशीला के चेहरे पर थोड़ी नाराजगी भी दिखी। उन्होंने कहा, ‘मेरे समूह में 2-4 ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें अभी तक पैसा नहीं मिला। प्रिया कुमारी MSc पास, लेकिन बेरोजगार है। उसे सबसे ज्यादा जरूरत थी।’ हम मोदी सपोर्टर हैं, फिर भी पैसा नहीं आया हमने प्रिया कुमारी से बात की। वह 2020 से जीविका से जुड़ी हैं। घर में सिलाई मशीन रखकर काम शुरू करने का सपना देख रही हैं, लेकिन उनका इंतजार लंबा हो चला है। प्रिया ने कहा, ‘मैंने जीविका से अभी तक लोन नहीं लिया। बैंक गई, KYC भी करा लिया, पर पैसा नहीं आया। उम्मीद है आएगा। लोग बोलते हैं, जिसने पैसा लिया उसी ने वोट दिया। मैं तो मोदी सपोर्टर हूं, भाजपा को वोट दिया, लेकिन मुझे पैसा नहीं मिला। कहा जा रहा है कि दिसंबर तक पैसा आएगा।’ 10 हजार रुपए मिले तो खरीदे छठ पूजा के सामान, कराया इलाज सरकार से मिले पैसे का इस्तेमाल महिलाओं ने अपने इलाज और दूसरे जरूरी खर्च में भी किया है। लालपुर टोंक पंचायत के वार्ड नं. 3 हमें 60 साल की सुहागी देवी मिलीं। उन्होंने कहा, ‘10 साल से जीविका से जुड़ी हूं। छठ से पहले पैसा आया था। फल-दउरा सब उसी पैसे से आया और फिर बीमार पड़ी तो इलाज में बचे हुए पैसे खर्च हो गए।’ ये पैसे बिजनेस के लिए मिले थे? इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘शरीर रहेगा तभी तो बिजनेस करूंगी। मेरी मजबूरी थी। शरीर साथ नहीं दे रहा था। आज-कल के बच्चे पूछते नहीं।’ हमने लालपुर की चिंता देवी से बात की। वह बीमारी के चलते कमजोर हो गईं हैं। ठीक से बात तक नहीं कर पा रहीं थीं। बोलते-बोलते रुक जातीं, लगता मानों शरीर में आगे बोलने की ताकत नहीं बची। उन्होंने कहा, ‘10 साल से समूह से जुड़ी हूं, पहली बार कुछ मिला था, लेकिन पैसे इलाज में खर्च हो गए। हाजीपुर में सिटी स्कैन, अल्ट्रा साउंड, एक्स रे कराया। ऊपर से कर्ज भी लेना पड़ा।’ पूछने पर कि ये पैसे बिजनेस में लगाने थे, वह कहती हैं, ‘हम बिजनेस कैसे करें? शरीर साथ नहीं देता है। ठीक हो जाएंगे तो सोचेंगे। अभी तो इलाज ही चल रहा है।’ हर शुक्रवार को जारी होंगे पैसे, जिन्हें नहीं मिले, करें इंतजार वैशाली जिला के बिदूपुर प्रखंड में काम करने वाले वैशाली स्वयंसिद्धा महिला विकास स्वावलंबी सहकारी समिति के सीईओ पिंटू कुमार ने कहा कि अब से हर शुक्रवार को पैसे जारी होंगे। जिन्हें अब तक 10 हजार रुपए नहीं मिले हैं, उन्हें इंतजार करना चाहिए। पिंटू कुमार ने कहा, ‘जिन्हें 10 हजार मिले हैं, वो खुश हैं। जिन्हें नहीं मिले उनसे आशा रहेगी। अब से हर शुक्रवार को पैसे भेजे जाने हैं। आखिरी किश्त तीन नवंबर को गई थी। उसके बाद आचार संहिता के चलते रुकी रही।’ उन्होंने कहा, ‘पैसा न जाने के दो बड़े कारण हैं। बहुत से लोगों के नाम की स्पेलिंग आधार कार्ड और बैंक अकाउंट में अलग-अलग है। पैसे डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) से दिए जा रहे हैं, इसलिए स्पेलिंग ठीक रखना जरुरी है।’पिंटू कुमार ने कहा, ‘एक इंसान के पास छह-छह बैंक अकाउंट हैं। लोग देख नहीं पा रहे हैं कि पैसे किस अकाउंट में आए। हमलोग लोगों को जागरूक कर रहे हैं। बता रहे हैं कि सारे अकाउंट चेक करिए। मेरे प्रखंड में 78% जीविका दीदियों को पैसे जाने हैं। हम लोग उसमें ही लगे हुए हैं।’ 2 लाख रुपए पाने के लिए जीविका दीदियों को करना होगा कारोबार जीविका की वैशाली जिले की डीपीओ दिव्या कुमारी ने आगे मिलने वाले 2 लाख रुपए के बारे में कहा, ‘10 हजार के लिए जब फॉर्म भरा जा रहा था, उसी समय व्यवसाय का कॉलम भरवाया गया। कुछ समय बाद वेरिफिकेशन होगा कि व्यवसाय में वो आगे बढ़ रही हैं या नहीं।’ दिव्या कुमारी ने कहा, ‘अगर सबकुछ ठीक रहा तो आगे बढ़ने के लिए कितनी आवश्यकता है, उस हिसाब से पैसे दिए जाएंगे। बिजनेस और ग्रोथ के अनुसार वीओ (ग्राम संगठन) की देखरेख में 50-50 हजार करके 3-4 बार में पैसे मिलेंगे।’ डीपीओ ने बताया कि जीविका दीदियों को 2 लाख रुपए पाने के लिए अपने कारोबार से जुड़ी कागजी प्रक्रिया पूरी करनी होगी। महिलाएं चाहें पशुपालन करें, जनरल स्टोर चलाएं या सिलाई सेंटर। उन्हें कागजी कार्रवाई पूरी करनी होगी। जीएसटी नंबर और अलग बैंक अकाउंट जैसी जरूरतें पूरी करनी है। अगर जीविका दीदियां सब कुछ प्रोसेस के हिसाब से करेंगी तो आगे का पैसा मिलेगा। चुनावी फायदे के लिए सरकार ने दिए 10-10 हजार रुपए बिहार प्रदेश जीविका कैडर संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप सिंह सरकार द्वारा दिए जा रहे 10 हजार रुपए को चुनावी रिश्वत बताते हैं। प्रदीप सिंह ने कहा, 10 हजार या 2 लाख का क्या इस्तेमाल हो रहा है ये देखना होगा। बकरी पालकर आप पूरे परिवार का भरण पोषण नहीं कर सकते। महिला वोट बैंक को ध्यान में रखकर ये पैसा दिया गया। इसका लाभ नीतीश कुमार को मिला।उन्होंने कहा, ‘2006-07 से जीविका योजना काम कर रही है। अभी तक लगभग 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज दिए गए हैं। इस बार चुनाव में 10-10 हजार रुपए और दे दिए गए। कुछ पैसे लोगों ने रोजगार के लिए खर्च किए, लेकिन बाकी पैसे दिखाने के लिए खर्च हुए। मेरी समझ में ये पैसे चुनाव में फायदे के लिए दिए गए थे। लोगों ने रोजगार-पलायन मुद्दे को दरकिनार करके वोट दिए।’ राजनीतिक कार्यकर्ता की तरह काम कर रही जीविका दीदियां कांग्रेस के प्रवक्ता ज्ञानरंजन ने कहा कि अब जीविका दीदियां राजनीतिक कार्यकर्ता की तरह काम कर रही हैं। आचार संहिता के बीच उन्हें पैसे दिए गए। जब राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक में ऐसी योजनाएं रोक दी गईं तो बिहार में क्यों नहीं रोकी गईं।’ निर्यात किए जाएंगे जीविका दीदियों द्वारा बनाए गए सामान जदयू प्रवक्ता नीरज गुड्डू ने कहा कि हर 100 जीविका दीदियों पर एक कोऑर्डिनेटर है। उन्हें लगाया गया है कि जीविका दीदियों से उनका वर्क-प्लान पूछिए। पता कीजिए कि क्या करने वाली हैं। उनकी योजना को स्वीकृत कराएं, ऐसा होने पर 2 लाख रुपए तक पैसे मिलेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘जीविका दीदियों द्वारा बनाए जाने वाले सामानों को बाजार दिलाने के लिए ग्रामीण हाट बनेंगे। राज्य से बाहर निर्यात किया जाएगा। अगर किसी दीदी ने 10 हजार में दुकान भी खोल ली और सामान बेच रही हैं तो यह गुनाह कैसे हो गया? यह हर परिवार की महिला को स्वरोजगार से जुड़ने का सुनहरा अवसर है।’ महागठबंधन के लोगों ने इसे घूस कहा है। यह महिलाओं के प्रति उनका गलत नजरिया है। महिलाएं आगे बढ़ें, इन्हें मंजूर नहीं। उन्होंने भ्रम फैलाया कि यह कर्ज है। ब्याज समेत लौटाना होगा, लेकिन कागज भी नहीं पढ़ा।- नीरज गुड्डू, जदयू प्रवक्ता
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